झारखंड में शीतलहरी का कहर जारी है. भीषण ठंड में प्रदेश के सरकारी स्कूलों के बच्चे ठिठुरने को मजबूर हैं. ऐसा हम नहीं कह रहे बल्कि कई रिपोर्ट्स का दावा है.
दरअसल, हिंदी दैनिक अखबार दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के मुताबिक राज्य में 8वीं तक के 7 लाख बच्चों को अब तक पोशाक के लिए पैसे नहीं मिले हैं.
हाल ही में शिक्षा मंत्री रामदास सोरेन ने इसी मामले में अधिकारियों से रिपोर्ट भी मांगी थी. उन्होंने जल्द ही बच्चों को पोशाक, साइकिल, बैग समेत अन्य सभी योजनाओं की राशि उपलब्ध कराने का निर्देश दिया था.
राज्य के सभी सरकारी स्कूलों में कक्षा आठवीं तक के 31,74,740 बच्चे हैं. लेकिन सरकारी स्कूलों में आठवीं तक में पढ़ रहे लगभग 7 लाख बच्चों को अब तक ड्रेस के पैसे नहीं मिले है.
सभी जिलों को सितंबर महीने में ही भेज दी गई थी राशि
रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया है कि लगभग 20 प्रतिशत बच्चे अब भी पुराने कपड़ों में ही स्कूल आने को मजबूर हैं. यह स्थिति तब ऐसी है जब झारखंड शिक्षा परियोजना ने राज्य के सभी जिलों को पिछले सिंतबर में ही राशि उपलब्ध करा दी थी.
बता दें कि 9 दिसंबर 2024 को हुई विभागीय समीक्षा बैठक में इस बात के लिए विभिन्न जिला शिक्षा अधीक्षकों को विशेष हिदायत दी गई थी. लेकिन शिक्षा मंत्री रामदास सोरेन व विभागीय सचिव उमाशंकर सिंह के निर्देश के बाद भी स्थिति में कोई बदलाव नहीं देखने को मिल रहा है.
अब देखिए मार्च महीने में शैक्षणिक सत्र 2024-25 समाप्त हो जाएगा. नया सेशन भी शुरू हो जाएगा. ऐसे मे यह कहना गलत नहीं होगा कि विभाग की लालफीताशही के कारण बच्चों को पैसे नहीं मिल पाएंगे.
पोशाक के लिए छात्रों को इतने मिलते हैं पैसे
गौरतलब है कि पांचवीं कक्षा तक के हर विद्यार्थी को 2 सेट पोशाक, स्वेटर व जूते मोजे के लिए 600 रुपए दिए जाते है. छठी से आठवीं तक के सभी छात्रों को 2 सेट पोशाक के लिए 400, स्वेटर के लिए 200 रुपए और जूते मोजे के लिए 160 रुपए दिए जाते हैं.
छठी से आठवीं तक के छात्रों के जूते- मोजे के पैसे राज्य सरकार देती है. लेकिन पैसे अब तक नहीं मिली है. ऐसे में अगर पैस फरवरी या मार्च में मिल भी जाते हैं तो बच्चे पैसे का उपयोग नहीं कर पाएंगे.
बता दें कि हाल ही में हुई समीक्षा बैठक में जिलों ये भी निर्देश दिया गया था कि अगर बच्चों के बैंक या पोस्ट ऑफिस अकाउंट नहीं है तो उनके अभिभावकों के बैंक या पोस्ट ऑफिस अकाउंट नहीं है तो उनके अभिभावकों के बैंक खाते में पैसे भेजे जा सकते हैं. इस निर्देश के बाद भी अभी तक पैसे भेजने में विभाग असर्मथ है.
इन जिलो का बेहतर रहा प्रदर्शन
बहरहाल, रिपोर्ट्स में 24 जिलों का रिपोर्ट भी दिया गया है कौन से जिले का बेहतर प्रदर्शन रहा है. बच्चों के खाते में पैसे भेजने के मामले में लातेहार और रामगढ़ का प्रदर्शन सबसे अच्छा रहा है.
जबकि गढ़वा और कोडमरमा में सबसे खराब है. इसके अलावा बच्चों को पोशाक के लिए पैसे भेजने के मामले में बाकी के 20 जिलों की स्थिति ठीक है.
खैर! देखना होगा कि 7लाख बच्चों को पोशाक के लिए पैसे कब तक मिलते हैं.