बीते 11 जनवरी को दिशोम गुरु शिबू सोरेन का जन्मदिन झामुमो ने बड़े ही धूमधाम से मनाया.शिबू सोरेन के जन्मदिन के मौके पर कई दिग्गज उनसे मिलकर उन्हें शुभकामनाएं देने पहुंचे. शिबू सोरेन के जन्मदिन समारोह से कई ऐसी तस्वीरें सामने आई जिसने झारखंड की राजनीति में उथल पुथल मचा दिया और अब जनता सहित पार्टियों को भी सोचने पर मजबूत कर दिया है कि क्या झारखंड की राजनीति में फिर से बड़ा बदलाव होने वाला है.
शिबू सोरेने के जन्मदिन पर रघुवर दास उनसे मुलाकात करने उनके आवास पहुंचे लेकिन उसी दिन बाबूलाल मरांडी के जन्मदिन पर रघुवर दास उनसे मिलने नहीं गए तो झामुमो ने भाजपा पर ही तंस कस दिया.
शाम में शिबू सोरेन के केक कटिंग समारोह में पूरा सोरेन परिवार एकजुट हुआ तब वहां सीता सोरेन और उनकी बेटी की उपस्थिति ने सबका ध्यान अपनी ओर खींच लिया .उस तस्वीर ने सीता सोरेन के झामुमो में वापसी के कयासों को बल दे दिया.
और अब एक और तस्वीर सामने आई है जो भाजपा को झटका दे सकती है ये तस्वीर है लोबिन हेंब्रम की शिबू सोरेन से मुलाकात की. लोबिन की शिबू सोरेन से बढ़ती नजदीकियों पर एक बार भी राज्य की जनता और राजनीतिक जानकारों को सोचने पर मजबूर कर दिया है.
हालांकि लोबिन हेंब्रम ने इस मुलाकात को महज एख शिष्टाचार भेंट बताया है. दिशोम गुरु शिबू सोरेन को उनके जन्मदिन पर बधाई देने को राजनीतिक शिष्टता बताते हुए लोबिन हेंब्रम ने साफ किया है कि शिबू सोरेन उनके राजनीतिक गुरु रहे हैं। उनसे कभी मनभेद नहीं हो सकता है। लोबिन ने कहा कि उन्हीं के बताए गए रास्ते पर चलकर आज वह इस मुकाम पर पहुंचे हैं। राजनीतिक अपनी अलग जगह है, लेकिन व्यक्तिगत संबंध और अपने गुरु को तो उम्र भर नहीं भूल सकते हैं।
उन्होंने कहा कि दिशोम गुरु शिबू सोरेन ने शोषण के खिलाफ आवाज उठाने की प्रेरणा दी है। उन्होंने कहा कि अपने गुरु की लंबी उम्र का कामना करता हूं।
बता दें कि लोबिन हेंब्रम विधानसभा चुनाव के पूर्व झामुमो के ही विधायक थे। लेकिन सीएम हेमंत सोरेन के खिलाफ मोर्चा खोलने में पीछे नहीं रहते थे। लोबिन पार्टी में पंकज मिश्रा के दखल को बर्दाश्त नहीं करते थे। पंकज मिश्रा सीएम हेमंत सोरेन के प्रिय पात्रों में शामिल रहे। यही कारण है कि लोबिन लगातार सरकार का विरोध करते रहे।
साल 2019 में झामुमो से चुनाव जीतने के बाद से अपनी ही सरकार को घेरने में लोबिन हेंब्रम ने कोई कसर नहीं छोड़ी। लोबिन लोकसभा चुनाव के दौरान निर्दलीय मैदान में उतर गए।
वहीं विधानसभा चुनाव के समय तो पाला बदल कर भाजपा में शामिल हुए। बोरियो से भाजपा ने उन्हें टिकट भी थमा दिया, लेकिन चुनाव में लोबिन बुरी तरह पराजित हुए।
झामुमो ने वहां एक मामूली कार्यकर्ता पर दांव खेला।चुनाव से पहले पंकज मिश्रा भी ईडी की गिरफ्त से बाहर निकल गए.राजनीति के धुरंधर पंकज मिश्रा ने झामुमो के चुनावी कमान को अपने हाथ में लिया और धनंजय सोरेन को उतार कर बाजी मार ली। चुनाव परिणाम से तीन बार के विधायक लोबिन हेंब्रम को झामुमो की राजनीतिक ताकत का एहसास भी हो गया।
अब भाजपा की करारी हार के बाद भी झारखंड की राजनीति में कई तरह के बदलाव होने बाकी हैं.