झारखंड

झारखंड के आदिवासी बहुल इलाकों में खुलेगी शराब दुकान, बार-क्लब भी होंगे; किसने किया विरोध!

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झारखंड के आदिवासी बहुल इलाकों में ग्राम सभा की अनुमति से शराब दुकान खुलेगी. कल ट्राइबल एडवाइजरी कमिटी की बैठक में यह निर्णय लिया गया है. वरीय झामुमो विधायक स्टीफन मरांडी ने जानकारी दी है कि राज्य के आदिवासी बहुल इलाकों में शराब दुकान या बार खोलने के लिए ग्राम सभा की अनुमति जरूरी होगी.

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की अध्यक्षता में हुई टीएसी की बैठक में झारखंड उत्पाद नियमावली-2025 के गठन से संबंधित प्रस्तावित अधिसूचना के प्रारूप पर विचार किया गया.

टीएसी के सदस्य स्टीफन मरांडी ने बैठक में लिए गये निर्णयों की जानकारी दी. उन्होंने बताया कि तय एजेंडा के मुताबिक आदिवासी बहुल उन पंचायतों में यहां 50 फीसदी या उससे ज्यादा जनजातीय आबादी है यदि झारखंड सरकार के पर्यटन, कला, संस्कृति, खेलकूद एवं युवा कार्य विभाग द्वारा उन्हें अंतर्राष्ट्रीय, राष्ट्रीय, राजकीय अथवा स्थानीय महत्व के पर्यटन स्थलों के रूप में घोषित किया जाता है तो पर्यटन को बढ़ावा देने के उद्देश्य और राजस्व के हित में ऑफ प्रवृत्ति की खुदरा शराब दुकानों की बंदोबस्ती पर विचार किया जायेगा.

इसके अलावा इन इलाकों में होटल, रेस्टोरेंट, बार और क्लब को लाइसेंस देने के प्रस्ताव पर भी विचार किया जायेगा.

प्रत्येक 2 महीने में होगा वनपट्टा वितरण
इसी बैठक में जनजातीय आबादी को वन अधिकार योजना के तहत आबुआ वीर दिशोम अभियान को भी बड़े पैमाने पर संचालित करने का फैसला किया गया है. यह भी सुनिश्चित करने के लिए कहा गया है कि हर 2 महीने में वनपट्टा वितरण अनिवार्य रूप से किया जाये.

वनपट्टा लाभार्थियों के विद्यार्थियों और बच्चे-बच्चियों को आवासीय और जाति प्रमाण पत्र जारी करने में यदि कोई कठिनाई आ रही है तो उसका समुचित समाधान करने का निर्णय भी लिया गया है.

इस बीच बोकारो जिला के ललपनिया में आदिवासी धार्मिक स्थल लुगुबुरू में डीवीसी द्वारा पनबिजली परियोजना पर भी विचार किया गया. टीएसी के सदस्यों को जानकारी दी गई है कि सरकार ने आदिवासी धर्म स्थल लुगुबुरु को संरक्षित करने की मंशा से डीवीसी और भारत सरकार को अगत करा दिया है.

सरकार ने पूर्व में ही डीवीसी की इस परियोजना को स्थगित करने का निर्णय लिया है.

आदिवासी इलाकों में शराब दुकान का विरोध
गौरतलब है कि आदिवासी बहुल इलाकों में शराब दुकान या बार संचालित करने की योजना का पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन ने विरोध किया है. चंपाई सोरेन ने ही बताया था कि सरकार द्वारा लाई जा रही इस योजना के विरोध में ही भारतीय जनता पार्टी ने टीएसी की बैठक का बहिष्कार किया. चंपाई सोरेन ने कहा कि झारखंड मुक्ति मोर्चा की नींव में आदिवासी कल्याण की बात थी.

दिशोम गुरू शिबू सोरेन शराब या हड़िया पीने को आदिवासी समाज में एक प्रमुख बुराई के रूप में रेखांकित करते थे और उन्होंने हमेशा इसका विरोध किया है. चंपाई सोरेन ने कहा कि आज वही पार्टी और दिशोम गुरू के बेटे हेमंत सोरेन ही राज्य के आदिवासी बहुल गांवों में शराब की दुकानें खोलने की योजना ला रहे हैं.

इसके अलावा भाजपा ने टीएसी के गठन में राज्यपाल की भूमिका को नगण्य करके मुख्यमंत्री को सर्वेसर्वा बनाने की नीति के विरोध में भी बैठक का बहिष्कार किया.

वहीं, चंपाई सोरेन के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए स्कूली शिक्षा मंत्री रामदास सोरेन ने कहा कि जब चंपाई सोरेन मुख्यमंत्री थे तब तो उन्होंने झारखंड में शराब नीति का कभी विरोध नहीं किया. जब वह झारखंड मुक्ति मोर्चा का हिस्सा थे तब तो कोई सलाह नहीं दी.

आदिवासियों को नहीं मिलेगा दुकान का अधिकार
चूंकि झारखंड के आदिवासी बहुल इलाकों में ग्राम सभा की अनुमति से शराब दुकान और बार संचालित करने की योजना लाई जा रही है तो टीएसी के सदस्यों ने मांग रखी कि दुकानों के संचालन का अधिकार बी आदिवासियों को दिया जाये लेकिन, अभी इस पर सहमति नहीं बन सकी है.

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