बिहार में बारिश होने के बाद भीषण गर्मी से लोगों को राहत तो मिली लेकिन मानसून से पहले ही वज्रपात ने यहां विकराल रुप धारण कर लिया है. आकाशीय बिजली गिरने से इस साल अप्रैल के पहले पखवाड़े में ही ठनका गिरने से मौत का आंकड़ा 43 पहुंच गया है.
इन जिलों में हुई अधिक मौतें
पिछले दो दिनों से वज्रपात से उत्तर बिहार में ज्यादा मौतें हुई हैं.वर्ष 2020 में आपदा प्रबंधन विभाग ने अध्ययन में पाया था कि वज्रपात की घटनाएं दक्षिण बिहार के जिलों में ज्यादा होती थी. इस प्राकृतिक आपदा के चलते राज्य में अब तक सबसे ज्यादा मौतें गया और औरंगाबाद जिले में हुई हैं. इसके अलावा जमुई, बांका, नवादा, पूर्वी चंपारण, छपरा, कटिहार, रोहतास, भागलपुर और बक्सर आदि जिलों में भी घटनाएं बढ़ी हैं.
9 साल में हजारों ने जान गंवाई
वज्रपात के मामले में बिहार अधिक संवेदनशील राज्य है. यहां हर साल सैकड़ों लोगों की जान चली जाती है. आंकड़ों पर नजर डालें तो बीते 9 सालों में अब तक 2371 लोग आकाशीय बिजली की चपेट में आने की वजह से अपनी जान गंवा चुके हैं.