झामुमो सांसद विजय हांसदा ने लोकसभा में केंद्र के पास बकाया कोल रॉयल्टी का भुगतान करने की मांग उठाई.
विजय हांसदा ने कहा कि झारखंड सहित अन्य कई राज्य जो खनिज संपदा से परिपूर्ण हैं, केंद्र सरकार द्वारा उनकी बकाया राशि का भुगतान नहीं किया जा रहा. विभिन्न योजना और परियोजना में मिलने वाले केंद्रीय राज्यांश का हिस्सा भी समय पर और पर्याप्त मात्रा में नहीं मिलता. इससे इन राज्यों में विकास कार्य बाधित होते हैं.
उन्होंने कहा कि संघीय ढांचे में केंद्र और राज्य सरकार द्वारा मिलकर जनहित में विकास कार्य करने की अपेक्षा की जाती है लेकिन झारखंड सहित अन्य गैर-भाजपा शासित राज्यों के साथ केंद्र सरकार द्वारा किए जा रहे सौतेले व्यवहार के कारण रिश्तों पर असर होता है.
विजय हांसदा ने कहा कि केंद्र सरकार को झारखंड के बकाया कोल रॉयल्टी का भुगतान करना चाहिए.
उन्होंने कहा कि इन राज्यों से रेलवे को बड़ी मात्रा में रॉयल्टी मिलती है लेकिन उस हिसाब से बदले में सुविधाएं नहीं मिलती. उन्होंने कहा कि कोरोना काल में बंद हुई रेलगाड़ियों को दोबारा चालू नहीं किया गया है.
कोल रॉयल्टी पर झारखंड और केंद्र में संघर्ष
राज्य की हेमंत सोरेन सरकार यह दावा करती है कि उसका कोल रॉयल्टी के रूप में केंद्र सरकार के पास 1.36 लाख करोड़ रुपये बकाया है.
इस मुद्दे पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, पीएम मोदी को कई बार चिट्ठी लिख चुके हैं.
नीति आयोग में यह मामला उठा चुके हैं.
पिछले दिनों झामुमो के स्थापना दिवस समारोह में पार्टी ने बकायदा संकल्प पारित किया कि कोल रॉयल्टी के बकाया राशि के भुगतान के लिए केंद्र पर दबाव बनाया जाएगा.
हालांकि, हालिया शीतकालीन सत्र में पूर्णिया सांसद पप्पू यादव के सवाल के जवाब में केंद्रीय गृह राज्यमंत्री ने कहा था कि केंद्र के पास झारखंड का कोई बकाया पैसा नहीं है.
जनवरी के पहले सप्ताह में झारखंड दौरे पर आए केंद्रीय कोयला और खान मंत्री जी किशन रेड्डी ने आश्वासन दिया था कि बकाया राशि के भुगतान के बारे में सकारात्मक रूप से विचार किया जाएगा.
मोदी राज में बढ़ी है बेरोजगारी और महंगाई!
इधर, सदन में अपने संबोधन के दौरान सांसद विजय हांसदा ने कहा कि सरकार 3 गुणा विकास दर की बात करती है लेकिन पिछले 11 साल में महंगाई और बेरोजगारी बढ़ी है.
लोगों को शैक्षणिक, स्वास्थ्य और आर्थिक सिक्योरिटी नहीं मिली है.
आयुष्मान भारत योजना के तहत हेल्थ बीमा की स्थिति अच्छी नहीं है. सुविधाओं के अभाव की वजह से करोड़पति लोग देश छोड़कर जा रहे हैं. उद्योगपतियों का हजारों करोड़ रुपये का लोन बैंक माफ करता है लेकिन किसानों पर सामत आ जाती है.
सरकारी कर्मचारी ओल्ड पेंशन स्कीम चाहते हैं. सरकार कहती है कि कर्मचारियों को शिकायत नहीं है लेकिन यह हकीकत नहीं है.
सांसद ने भाजपा को बताया आदिवासी विरोधी
विजय हांसदा ने कहा कि आदिवासियों की दुर्दशा है.
केंद्र में सत्तारुढ़ भाजपा आदिवासी विरोधी है. आज भी सिद्धू-कान्हू द्वारा किए गए संताल हूल को पाठ्यपुस्तकों में जगह नहीं मिली है. पूर्वोत्तर के विकास का दावा करने वाली मोदी सरकार ने मणिपुर पर आंख मूंद लिया है.