झारखंड में विधानसभा चुनाव को लेकर अब कांग्रेस भी एक्टिव मोड पर काम कर रही है. दिल्ली में झारखंड कांग्रेस के नेताओं के बैठक के बाद अब यह भी चर्चा तेज है कि कांग्रेस अपने संगठन में बदलाव करने की तैयारी कर रही है. कयास लगाए जा रहे हैं कि एक बार फिर झारखंड कांग्रेस की कमान राजेश ठाकुर के हाथ से निकल कर किसी आदिवासी नेता के हाथों में जा सकती है. झारखंड भाजपा ने जब से बाबूलाल मरांडी को प्रदेश अध्यक्ष पद पर बिठाया है. तभी से कांग्रेस में भी किसी आदिवासी समुदाय से आनेवाले नेता को प्रदेश की कमान सौंपने की मांग उठ रही है. वहीं, एक वर्ग ओबीसी नेता को कमान सौंपने की हिमायती है.
कांग्रेस के नए प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए कई नाम सामने भी आ रहे हैं. जिसमें से आदिवासी और ओबीसी दोनों नेताओं के नाम की चर्चा है. नए प्रदेश अध्यक्ष बनने की रेस में सबसे आगे खूंटी सांसद कालीचरण मुंडा का नाम हैं. दिल्ली में हुई झारखंड कांग्रेस की बैठक के बाद राहुल गांधी ने खासतौर पर कालीचरण मुंडा से मुलाकात भी की थी. राहुल गांधी ने कालीचरण मुंडा को केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा के खिलाफ चुनाव लड़कर शानदार जीत हासिल करने पर बधाई दी. सूत्रों की मानें तो दोनों नेताओं के बीच लगभग दस मिनट तक बात भी हुई.
दूसरा नाम लोहरदगा लोकसभा सीट से ऐतिहासिक जीत दर्ज करने वाले सुखदेव भगत का है. सुखदेव भगत 2013 में झारखंड कांग्रेस के प्रदेश अधयक्ष की कमान संभाल चुके हैं.
प्रदेश अध्यक्ष की रेस में पूर्व राज्य सभा सांसद प्रदीप बालमुचू का नाम भी शामिल है, प्रदीप बालमुचू के पास प्रदेश अध्यक्ष के रूप में लंबा अनुभव भी है. इनके साथ-साथ पूर्व शिक्षा मंत्री बंधु तिर्की के नाम की भी चर्चा है. बंधु तिर्की कार्यकारी अध्यक्ष के रूप में वह लगातार कांग्रेस को मजबूत करने में लगे हैं. आदिवासी समुदाय से प्रदेश अध्यक्ष के संभावित नाम में से एक नाम राज्य के वित्त मंत्री रामेश्वर उरांव का भी हो सकता है. 2019 में जब झारखंड विधानसभा चुनाव हुए थे तो झारखंड प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष रामेश्वर ओरांव ही थे. उनके नेतृत्व में कांग्रेस ने अच्छा प्रदर्शन किया .
2021 में कांग्रेस ने संगठन में बदलाव किया और रामेश्वर उरांव के जगह पर ही राजेश ठाकुर को पार्टी की कमान सौंपी गई. राजेश ठाकुर ने कांग्रेस के छात्र संगठन एन एस यू आइ से राजनीति की शुरुआत की. वो एन एस यू आइ के प्रमुख पदों पर रहे। राजेश ठाकुर दिल्ली में झारखंड के पूर्व राज्यपाल सैयद सिब्ते रजी के विशेष कार्य पदाधिकारी भी रह चुके हैं.
लेकिन अब विधानसभा चुनाव से पहले पार्टी उन्हें भी बदलने की तैयारी में लगी है. बीते लोकसभा चुनाव में झारखंड में कांग्रेस ने खूंटी और लोहरदगा सीट पर जीत दर्ज कर 2019 की अपेक्षा पार्टी ने अच्छा परफॉर्म किया. लेकिन सेटबैक यह लगा कि अनारक्षित पांच सीट हजारीबाग, रांची, चतरा, धनबाद और गोड्डा में कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा.
झारखंड कांग्रेस प्रदेश की कमान ओबीसी नेता के हाथ में भी जा सकती है . जिसमें वर्तमान कार्यकारी अध्यक्ष और पूर्व जदयू के प्रदेश अध्यक्ष का अनुभव रखने वाले जलेश्वर महतो के नाम पर मुहर लग सकती है. इस रेस में पूर्व केंद्रीय मंत्री सुबोधकांत सहाय का नाम भी शामिल है.
हालांकि अब ये तो आलाकमान के फैसले पर ही निर्भर करेगा कि राजेश ठाकुर कांग्रेस के प्रदेश अधयक्ष बने रहेंगे या फिर चुनाव से पहले उन्हें बदल दिया जाएगा.