Jharkhand Assembly Election : गोमिया विधानसभा में इस बार त्रिकोणीय होगा मुकाबला !

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Ranchi : विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान कभी भी हो सकता है. चुनाव के मद्देनजर द फोर्थ पिलर सभी 81 विधानसभा सीटों का समीकरण आपके साथ साझा कर रही है. इसी कड़ी में आज हम उस विधानसभा सीट के बारे में चर्चा करेंगे जहां हमेशा से विकास के नाम पर राजनीति होती रही है.

विकास के नाम पर होती रही है राजनीति

हम बात कर रहे है गोमिया विधानसभा सीट के बारे में. इस बार यहां राजनीतिक दलों के क्या मुद्दे होंगे? इस विधानसभा सीट का समीकरण क्या होगा? इस सब पर विस्तार से चर्चा करेंगे क्योंकि इस बार यहां मुकाबला त्रिकोणीय होने वाला है.

वहीं सभी राजनीतिक पार्टियां और उम्मीदवार अपनी चुनावी रणनीति को अंतिम रूप देने में जुट गए है. इसके अलावा निर्दलीय चुनाव लड़ने वाले नेता भी यहां के वोट बैंक में सेंधमारी करने में जुटे है.

कभी नक्सलियों का गढ़ हुआ करता था

गोमिया विधानसभा अति नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में गिना जाता रहा है. पिछले कई दशकों से झुमरा पहाड़ नक्सलियों का जोनल एरिया कहा जाता रहा है. आसपास के कई इलाकों में अक्सर नक्सली गतिविधियां होती रही है.

इसी वजह से आज भी गोमिया विधानसभा क्षेत्र विकास गति में काफी दूर नजर दिखाई पड़ता है.कहा जाता है कि यहां अब तक जिन भी राजनीतिक दलों ने जीत दर्ज की है, उनका मुद्दा विकास ही रहा है.

गोमिया विधानसभा का 1977 में हुआ था गठन

हम अपने मुद्दे पर आते है. वैसे तो गोमिया विधानसभा पहले आम चुनाव के समय यानी 1952 में ही अस्तिव में आया था लेकिन, इसका गठन साल 1977 में हुआ. इससे पहले यह क्षेत्र मांडू विधानसभा के अंतर्गत आता था. गोमिया विधानसभा क्षेत्र में हमेशा से राजनीतिक दल युवाओं को रोजनगार देने और पलायन रोकने जैसे मुद्दों पर चुनाव लड़ते आये हैं.

दरअसल, विधानसभा क्षेत्र में बड़ी संख्या में युवा रोजगार को लेकर पलायन कर रहे है. अब तक कोई ठोस पहल नही की गई. नतीजा यह है कि यह क्षेत्र आज भी पिछड़े क्षेत्र की श्रेणी में ही आता है.

2005 से 2019 तक के चुनावी नतीजे

बहरहाल, अगर हम झारखंड गठन के बाद से अब तक हुए विधानसभा चुनाव की बात करें तो गोमिया सीट पर साल 2005 में भाजपा की टिकट पर छात्रु राम महतो चुनाव जीते थे. साल 2009 माधव लाल सिंह कांग्रेस की टिकट पर चुनाव जीता था.

साल 2014 में योगेद्र प्रसाद झामुमो की टिकट पर जीत हासिल की थी. वहीं पिछला विधानसभा चुनाव में आजसू की टिकट लंबोदर महतो ने जीत दर्ज की और विधानसभा पहुंचे. पिछला चुनाव से पहले सरकारी नौकरी छोड़ राजनीति में आए डॉ लंबोदर महतो ने गोमिया में सारे समीकरणों को ध्वस्त कर जीत दर्ज की थी.

उस दौरान लंबोदर ने झामुमो प्रत्याशी बबीता देवी को पराजित किया था. सीटिंग विधायक होने के नाते लंबोदर महतो को ही पार्टी इस बार टिकट दे सकती है. हालांकि झामुमो इस बार यहां किसे टिकट देगी ये साफ नहीं हो पाया है.

इस बार होगा त्रिकोणीय मुकाबला !

लेकिन इस बार यहां मुकालबला त्रिकोणीय होने वाला है. इस बार के विधानसभा चुनाव में झारखंड लोकतांत्रिक क्रांतिकारी मोर्चा भी यहां अपना उम्मीदवार उतार रही है. ऐसे में यहां राजनीतिक समीकरण में बड़ा बदलाव देखने को मिल सकता है. हालांकि जयराम महतो ने इस सीट पर उम्मीदवार नहीं घोषित किया है. संभावना जताई जा रही है.

जयराम यहां एक मजबूत कैंडिडेट देने की तैयारी में है. बहुत संभावा है कि जयराम पूर्व मंत्री माधव लाल सिंह को यहां से टिकट दे. क्योंकि माधवलाल सिंह भी इस सीट पर जेएलकेएम की टिकट पर अपनी दावेदारी पेश की है.

मीडिया रिपोट्स की मुताबिक लोकसभा चुनाव के दौरान जयराम महतो ने माधवलाल सिंह से मुलाकत कर चुनाव में उनसे समर्थन मांगा था. और माधवलाल ने जयराम को समर्थन भी दिया था. उस दौरान विधानसभा चुनाव में उन्हें पार्टी का उम्मीदवार बनाने की बात भी हुई थी.

इसके अलावे भी इजारफिल अंसारी उर्फ बबनी, चितरंजन साव, केके पांडेय समेत कई नाम की चर्चा है. हालांकि ये तो पार्टी ही तय करेगी की किसे टिकट देना है.

लोकसभा चुनाव में जयराम महतो लीड पर थी

बहरहाल, जयराम महतो की पार्टी की सक्रियता क्षेत्र में बढ़ गई है. पार्टी कार्यकर्ता डोर टू डोर कैंपियन भी कर रहे है. आपको बात दें कि लोकसभा चुनाव के दौरानम जेबीकेएसएस को लगभग 70 हजार वोट के साथ गोमिया विधानसभा सीट पर लीड पर थे.

हालांकि इस बार त्रिकोणीय मुकाबला होने वाला है, अब देखना होगा कि इस बार इस सीट पर कौन बाजी मारता है. ये चुनाव के नतीजे आने के बाद ही साफ हो पाएगा.

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