हिमंता बिस्वा सरमा ने झारखंड के डीजीपी अनुराग गुप्ता को चुनौती दी है कि वे बीजेपी की आक्रोश रैली में शामिल उन 12,000 अज्ञात लोगों के नाम बताएं जिनके खिलाफ लालपुर थाने में केस दर्ज किया गया है.
डीजीपी अनुराग गुप्ता को लिमिट में रहने की सलाह देते हुए असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने कहा कि उनका ये केस सुप्रीम कोर्ट में एक दिन भी नहीं टिकेगा. उन्होंने कहा कि डीजीपी को बताना चाहिए कि आक्रोश रैली में शामिल वे 12,000 लोग कौन थे.
रांची पुलिस को उन सभी 12,000 लोगों की पहचान कर उनको नामजद आरोपी बनाना चाहिए. इस एफआईआर से स्पष्ट है कि हेमंत सरकार युवाओं को ब्लैकमेल करना चाहती है.
हिमंता बिस्वा सरमा ने लगाया ब्लैकमेलिंग का आरोप
हिमंता बिस्वा सरमा ने कहा कि 12 हजार अज्ञात लोगों पर केस दर्ज किया है. सभी गैर-जमानती धाराएं लगी हैं. कल को राज्य के किसी भी हिस्से में विरोध और आंदोलन की कोई भी आवाज उठेगी तो उसे शांत करने के लिए इसी केस के तहत युवाओं की गिरफ्तारी की जायेगी. यहां किसी का नाम भी डाल दिया जायेगा.
ये हेमंत सरकार का ब्लैकमेल करने का एक तरीका है ताकि उनकी नाकामयाबी पर कोई सवाल ही नहीं पूछा जा सके. उन्होंने कहा कि जिन 59 लोगों को नामजद आरोपी बनाया गया है उनमें विधायक रणधीर सिंह और कोचे मुंडा का नाम भी शामिल है जबकि वे दोनों रांची में मौजूद नहीं थे.
हिमंता बिस्वा सरमा ने कहा कि मैं कभी फुर्सत से झारखंड के डीजीपी को कानून सिखा दूंगा.
हिमंता बिस्वा सरमा की डीजीपी अनुराग गुप्ता को चुनौती
असम के सीएम ने कहा कि सरकार ने 12 हजार लोगों पर केस दर्ज किया जबकि उस दिन मोरहाबादी मैदान में 30 हजार लोग थे. बाहर वो 60 हजार लोग भी थे जिन्हें रांची जिला प्रशासन ने बैरिकेडिंग और कंटीले तार लगाकर रोका.
झामुमो के प्रवक्ता कहते हैं कि 5 हजार लोग आये थे. चलिए मैं पहली बार झारखंड मुक्ति मोर्चा बात से सहमति जताता हूं कि मैदान में 5 हजार लोग थे. अब डीजीपी बतायें कि बाकी 7 हजार लोग कौन हैं जिनके खिलाफ गैर-जमानती धाराओं में केस दर्ज किया गया है.
चेतावनी भरे लहजे में हिमंता बिस्वा सरमा ने कहा कि डीजीपी गलत जगह हाथ लगा रहे हैं. वो दिन गये जब हेमंत सोरेन रक्षा करते थे. भारत कानून और संविधान से चलता है.
आंदोलन जन्मसिद्ध अधिकार है. सरकार ऐसे ब्लैकमेल कर ये अधिकार नहीं छीन सकती.