झारखंड में बांग्लादेशी घुसपैठ पर हाईकोर्ट ने केंद्र को तगड़ा सुना दिया

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झारखंड में बांग्लादेशी घुसपैठ का मुद्दा लगातार बढ़ता जा रहा है. राजनीतिक पार्टियां इसे चुनाव का मुद्दा बना रही है वहीं झारखंड हाईकोर्ट ने भी इस मामले पर गंभीर रवैया अपनाया है. हाईकोर्ट में इस मामले पर लगातार सुनवाई चल रही है और अब हाईकोर्ट ने कड़ा रुख अपनाते हुए केंद्र सरकार को फटकार लगाई है.
कोर्ट ने कड़ी नाराजगी जताते हुए कहा कि झारखंड में ट्राइबल की आबादी कम होती जा रही है और केंद्र सरकार चुप है. झारखंड का निर्माण आदिवासियों की हितों की रक्षा के लिए किया गया था. लगता है केंद्र सरकार बांग्लादेशी घुसपैठियों के झारखंड में प्रवेश को रोकने को लेकर कोई दिलचस्पी नहीं दिखा रही है.
दरअसल संथाल परगना के जिलों में बांग्लादेशी घुसपैठ की वजह से सबसे ज्यादा आदिवासी समाज की डेमोग्राफी प्रभावित हुई है. इसके खिलाफ दायर दानियल दानिश की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने केंद्रीय संस्थानों के प्रति नाराजगी जाहिर की है.

याचिकाकर्ता दानियल दानिश के अधिवक्ता राजेंद्र कृष्णा ने राष्ट्रीय जनगणना के हवाले से हाईकोर्ट के समक्ष डाटा पेश किया है, उसके मुताबिक साल 1951 में संथाल परगना क्षेत्र में आदिवासी आबादी 44.67% से घटकर साल 2011 में 28.11% हो गयी है. इसकी तुलना में साल 1951 में कुल मुस्लिम आबादी 9.44% से बढ़कर साल 2011 में 22.73% हो गई है. पिछले 60 वर्षों में करीब 16.56 प्रतिशत आदिवासियों की संख्या घट गई है. उन्होंने कोर्ट को बताया है कि यही हाल रहा था आने वाले समय में इस क्षेत्र से आदिवासी समुदाय का अस्तित्व खत्म हो जाएगा. अगर बांग्लादेशी घुसपैठ और अवैध इमिग्रेशन पर लगाम नहीं लगाया गया तो स्थिति आउट ऑफ कंट्रोल हो जाएगी.

इस मामले में पहले भी सुनवाई हो चुकी है. पिछली सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने इस मामले में बीएसएफ के डायरेक्टर जनरल, यू आई डी ए आई के डायरेक्टर जनरल, मुख्य सूचना आयुक्त, आई बी के डायरेक्टर जनरल और एन आई ए के डायरेक्टर को भी प्रतिवादी बनाते हुए अलग-अलग शपथ पत्र देने को कहा था.
लेकिन मंगलवार को सुनवाई के दौरान केंद्रीय संस्थानों की ओर से शपथ पत्र दायर करने के लिए चार सप्ताह का समय मांगा गया. इस पर नाराजगी जताते हुए खंडपीठ ने आईए को खारिज करते हुए दो सप्ताह के भीतर शपथ पत्र दायर करने को कहा है.

कोर्ट ने आगे यह भी कहा कि आईबी हर सप्ताह 24 घंटे काम करती है लेकिन बांग्लादेशी घुसपैठियों जैसे संवेदनशील मुद्दों पर अपना जवाब दाखिल नहीं कर रही है. बीएसएफ की भी बांग्लादेशी घुसपैठियों को रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका है लेकिन प्रतीत होता है कि बांग्लादेशी घुसपैठियों को रोकने के मामले में केंद सरकार का सकारात्मक रुख नहीं है. कोर्ट ने मौखिक कहा जब राज्य सरकार द्वारा मामले में जवाब दाखिल किया जा चुका है तो केंद्र सरकार को जवाब दाखिल करने में क्यों परेशानी हो रही है. केंद्र सरकार जवाब दाखिल करने के लिए 4 से 6 सप्ताह का समय मांग रही है.

अब इस मामले की अगली सुनवाई 5 सितंबर को होगी. इससे पहले राज्य सरकार की ओर से 6 जिलों के डीसी एवं एसपी की ओर से जवाब दाखिल किया गया है. कोर्ट ने कहा कि बांग्लादेशी घुसपैठियों का मामला देश की सुरक्षा से जुड़ा है इसलिए सभी प्रतिवादियों को समय से अपना जवाब दाखिल करना होगा.

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