सीएम हेमंत सोरेन ने सोरेन के बदले सोरेन फॉर्मूले से कोल्हान में बीजेपी को मात देने का प्लान बनाया है. चंपाई सोरेन का झारखंड मुक्ति मोर्चा से चैप्टर क्लोज हो गया अब चंपाई भारतीय जनता पार्टी का हिस्सा होंगे. चंपाई ने झामुमो और हेमंत कैबिनेट के सभी पदों से इस्तीफा दे दिया और अब हेमंत कैबिनेट में चंपाई को रिप्लेस कर रहे हैं विधायक रामदास सोरेन. रामदास सोरेन हेमंत कैबिनेट के नए मंत्री हैं.
झारखंड में विधानसभा चुनाव होने में मात्र 2 से 3 महीने बचे हैं और झारखंड में मंत्रिमंडल का गठन और मंत्रियों का शपथ ही खत्म नहीं हो पा रहा है.
चंपाई सोरेन को रामदास सोरेन से किया रिप्लेस
खैर, अब सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि आखिर हेमंत सोरेन ने रामदास सोरेन को ही क्यों चंपाई सोरेन से रिप्लेस किया. कौन हैं रामदास सोरेन जिसे इतने विधायकों को छोड़कर हेमंत सोरेन ने कैबिनेट मंत्री के किए चुना, क्या हेमंत सोरेन की कोई रणनीति है इसके पीछे बात करेंगे इन्हीं मुद्दों पर .
चंपाई सोरेन के इस्तीफा देने के बाद झारखंड मंत्रिमंड में 12वें मंत्री का पद एक बार फिर खाली हो गया .हालांकि सीएम हेमंत सोरेन ने देर न करते हुए इस पद को तुरंत भरने का फैसला किया और घाटशिला विधायक रामदास सोरेन का नाम 12 वें मंत्री पद के लिए प्रस्तावित कर दिया.
चंपाई सोरेन के बगावत के बाद कोल्हान में झामुमो कमजोर पड़ती नजर आ रही थी. और कोल्हान में सोरेन के बदले सोरेन का फॉर्मूला अपनाते हुए हेमंत सोरेन ने रामदास सोरेन को अपना मंत्री नियुक्त किया.
कोल्हान के वोटरों को साधना चाहते हैं सीएम हेमंत
चंपाई सोरेन के बदले रामदास सोरेन को मंत्री बनाने का सीधा कारण कोल्हान के संथाल वोटरों को साधना है. आंकड़ों का मानें तो कोल्हान में संथालों की आबादी लगभग तीन लाख है. और इनकी सबसे ज्यादा संख्या पूर्वी सिंहभूम जिले में है. रामदास सोरेन भी पूर्वी सिंहभूम जिले से ही आते हैं, ऐसे में रामदास सोरेन कोल्हान की संथाल वोटरों को अपने पाले में कर सकते हैं.
रामदास सोरेन झारखंड आंदोलनकारी भी रह चुके हैं. उनका दिशोम गुरु शिबू सोरेन और चंपाई सोरेन से बेहद करीबी संबंध रहा है. आदिवासी समाज के बीच उनकी पैठ है.
रामदास सोरेन के राजनीतिक इतिहास पर नजर डालें तो-
रामदास सोरेन ने पहला चुनाव 1995 में जमशेदपुर पूर्वी से रघुवर दास के खिलाफ लड़ा था. तब उन्हें महज 7,306 वोट मिले थे. उस चुनाव में रघुवर दास की जीत हुई थी. रामदास सोरेन ने 2005 में घाटशिला से झामुमो का टिकट नहीं मिलने पर बतौर निर्दलीय ताल ठोक दिया था.
2009 में उन्होंने झामुमो की टिकट पर कांग्रेस के प्रदीप बलमुचू को महज 1,192 वोट से हराकर पहली जीत दर्ज की थी. इस चुनाव में भाजपा प्रत्याशी सूर्य सिंह बेसरा तीसरे स्थान पर रहे थे. 2014 में मोदी लहर का असर पड़ा. इस चुनाव में रामदास सोरेन को भाजपा के लक्ष्मण टुडू ने हरा दिया था.
2019 में रामदास सोरेन ने भाजपा के लखन चंद्र मार्डी को हराकर दूसरी बार जीत दर्ज की.
चंपई सोरेन के भाजपा में शामिल होने से राज्य के कोल्हान प्रमंडल में सियासी समीकरण प्रभावित हो सकता है. ऐसे में उनकी जगह रामदास सोरेन को मंत्री बनाए जाने के फैसले को सियासी ‘डैमेज कंट्रोल’ की कवायद के तौर पर देखा जा रहा है.
हालांकि अब हेमंत सोरेन का यह कदम उनके लिए कितना सही साबित होता है ये तो चुनावी नतीजों के बाद ही पता चल पाएगा.