Ranchi: झारखंड में मानसून के समय सर्पदंश की घटना बढ़ जाती है. ग्रामीण इलाकों में सर्पदंश की घटना ज्यादा होती है. लोग जानकारी के अभाव में सर्पदंश के शिकार व्यक्ति को अस्पताल ले जाने की बजाय ओझा-गुणी के पास ले जाते हैं. मरीज का इलाज कराने की बजाय झाड़फूंक से ठीक करने का प्रयास करते हैं. ऐसे में अक्सर मरीज की जान को खतरा हो जाता है. लोग जान भी गंवाते हैं.
सर्पदंश और इसकी वजह से मौत के आंकड़ों में वृद्धि को देखकर स्वास्थ्य विभाग ने गाइडलाइन जारी की है. बताया है कि यदि सर्पदंश का शिकार हो जायें तो मरीज और उनके मरीज को क्या करना चाहिए और क्या नहीं. दरअसल, यदि सही समय पर मरीज का इलाज हो जाये तो आसानी से उसकी जान बचाई जा सकती है लेकिन जानकारी के अभाव में लोग खतरे में पड़ जाते हैं.
स्वास्थ्य विभाग ने बताया कि यदि सांप काट ले तो सर्पदंश से प्रभावित अंग को मोड़ना नहीं चाहिए. सर्पदंश वाले भाग पर पट्टी या रस्सी नहीं बांधना चाहिए. पीड़ित को स्थिर रखना चाहिए ताकि उसकी धड़कनें या रक्त प्रवाह बढ़ न जाये. पीड़ित व्यक्ति को तुरंत नजदीकी अस्पताल लेकर जाना चाहिए. सर्पदंश से पीड़ित व्यक्ति को तुरंत नजदीकी अस्पताल लेकर जायें.
गौरतलब है कि झारखंड की अधिकांश आबादी ग्रामीण इलाकों में रहती है. कच्चे मकान हैं. आसपास जंगल या झाड़ियां हैं. लोग खेती-किसानी का काम करते हैं. अक्सर ग्रामीण इलाकों में लोग नीचे जमीन पर ही बिस्तर लगाकर सो जाते हैं जिसकी वजह से आसानी से सर्पदंश का शिकार हो जाते हैं.
जागरूकता का अभाव और अंधविश्वास की वजह से अस्पताल न जाकर ओझा से इलाज कराते हैं, जो खतरनाक है.
गौरतलब है कि केवल गुमला जिला में ही जनवरी से जुलाई के बीच 42 लोग सर्पदंश का शिकार हुए. इनमें से 7 लोगों ने जान गंवाई दी. 4 लोग जुलाई माह में ही सर्पदंश की वजह से मारे गये.
झारखंड में पिछले साल सर्पदंश का आंकड़ा डराने वाला था. जून-जुलाई 2023 में झारखंड के 17 जिलों में कुल 753 लोगों को सांप ने काटा. इनमें से 45 लोगों ने जान गंवा दी. बताया जाता है कि सर्पदंश से मौत की एक बड़ी वजह अंधविश्वास तो है ही. अस्पतालों में पर्याप्त संख्या में एंटी वेनम भी उपलब्ध नहीं है.