अशोक कुमार

हजारीबाग सदर SDO का सामाजिक बहिष्कार, पत्नी को जिंदा जलाने का है आरोप

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पत्नी को जिंदा जलाने के संगीन आरोपों में घिरे हजारीबाग सदर एसडीओ अशोक कुमार का सामाजिक बहिष्कार किया गया है.

उनके गांव में प्रवेश करने पर रोक लगा दी गयी है.

बताया जा रहा है कि दिवंगत पत्नी के अंतिम संस्कार में शामिल नहीं होने से उनके गांव के लोग बहुत नाराज हैं.

दरअसल, एसडीओ अशोक कुमार की पत्नी अनीता कुमारी की रांची के देवकमल अस्पताल में इलाज के दौरान मौत हो गई थी. वह 65 फीसदी तक झुलस गयी थीं. उनको बेटे किसलय ने मुखाग्नि दी. अंत्येष्टि कार्यक्रम में अशोक कुमार या उनके परिवार का कोई सदस्य शामिल नहीं हुआ.

मृतका अनीता कुमारी के घरवालों ने इस केस में अशोक कुमार, उनके पिता दुर्योधन साव, देवर शिवनंदन और देवरानी रिंकू देवी को नामजद आरोपी बनाया है. हजारीबाग के लोहसिंघना थाने में लिखित शिकायत दी गयी है.

पुलिस मामले की छानबीन में जुटी है.

बुरी तरह से झुलस गयी थीं अनीता कुमारी
हजारीबाग सदर एसडीओ अशोक कुमार की पत्नी अनीता कुमार 2 दिन पहले हजारीबाग स्थित सरकारी आवास में झुलस गयी थीं. उनके शरीर 65 फीसदी तक जल गया था. उनका इलाज हजारीबाग, बोकारो और रांची के अलग-अलग अस्पतालों में कराया गया.

मायके वालों का आरोप है कि एसडीओ अशोक कुमार ने अपने पद और प्रभाव का इस्तेमाल कर अनीता का किसी एक अस्पताल में ठीक से इलाज नहीं होने दिया. उसे अस्पताल दर अस्पताल घुमाते रहे. इससे हालत और नाजुक हो गयी.

वहीं, अशोक कुमार का तर्क है कि मॉर्निंग वॉक पर जाने से रोकने पर हुये विवाद के बाद पत्नी ने पेंट के लिए रखा तारपीन का तेल उलेड़कर खुद को आग लगा ली. उनको बचाने में उनका हाथ भी झुलस गया. हालांकि, ससुराल वालों का आरोप है कि अशोक कुमार उनके परिवार ने मिलकर उनकी बेटी को जिंदा जला दिया.

उनका आरोप है कि अशोक कुमार के अन्य महिलाओं से अनैतिक संबंध थे. इसे लेकर अनीता परेशान रहती थी. कई बार परिवार में इस बात को लेकर समझौता भी हुआ था. अनीता के घरवालों का कहना है कि अशोक कुमार हर बार आश्वासन देते थे कि उनसे गलती हुई है और आगे से ऐसा नहीं होगा लेकिन उनकी आदत नहीं बदली.

आग से जलने के बाद अनीता देवी की मौत
आग से जलने के बाद अनीता देवी की मौत हो गयी. इसके बाद परिजनों ने उनका शव लोहसिंघना थाने के बाहर रखकर प्रदर्शन किया.

उनकी मांग थी कि आरोपियों को अविलंबर गिरफ्तार किया जाए. अशोक कुमार को फांसी की सजा हो. 7 घंटे तक मृतका का शव थाने के बाहर ही पड़ा रहा. आखिरकार प्रशासन के आश्वासन पर परिवार वाले माने और अंतिम संस्कार हुआ।

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