देश के इस हिस्से में तेजी से फैल रहा है GBS, एक की मौत;जानिए क्या है इसके लक्षण और इलाज

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क्या भारत में एचएमपीवी वायरस (HMPV- Virus) के बाद गुइलेन बैरे सिंड्रोम (GBS) का खतरा मंडराने लगा है. इस सिंड्रोम से एक व्यक्ति की मौत की पुष्टी भी हो चुकी है.

आखिर गुइलेन बैरे सिंड्रोम क्या है? क्यों इसके मामले बढ़ते जा रहे हैं? क्या है इसका लक्ष्ण?आज के इस आर्टिकल में हम आपको विस्तार में बताएंगे.

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक महाराष्ट्र के पुणे में गुइलेन- बैरे सिंड्रोम के मामले लगतार बढ़ रहे है. इस सिंड्रोम के चपेट में आने से एक व्यक्ति की मौत भी हो चुकी है. महाराष्ट के स्वास्थ्य विभाग ने इसकी पुष्टी की है. जो गुइलेन- बैरे सिंड्रोम से पीड़ित था.

पुणे में 101 मामले दर्ज

मीडिया रिपोर्ट्स के माने तो 26 जनवरी तक महाराष्ट्र के पुणे में गुइलेन- बैरे सिंड्रोम के कुल 101 मामले सामने आ चुके है.  इन मामलों में से 81 पुणे नगर निगम से, 14 पिंपरी चिंचवाड़ से और 6 जिले के अन्य भागों से सामने आए हैं.

कब आया था पहला केस?

बताया जा रहा है कि 9 जनवरी को गंभीर रूप  में बीमार व्यक्ति को अस्पताल में भर्ती कराया गया था. उसका जीबीएस टेस्ट पॉजीटिव निकला.  जिसके चलते वह पुणे का पहला केस बना.

टेस्ट  के लिए मरीजों से लिए गए कुछ जैविक नमूनों में कैम्पिलोबैक्टर जेजुनी बैक्टीरिया का पता चला है. सी जेजुनी दुनिया भर में जीबीएस के लगभग एक तिहाई मामलों का कारण बनता है और सबसे गंभीर इंफेक्शन का भी जिम्मेदारी है.

ये तो हो गई गुइलेन- बैरे का पहला मामला कब आया था और अब तक कितने केस सामने आ चुके है.  अब आपको इस सिंड्रोम के बारे में बताते है. क्या है और कैसे फैलता है?

गुइलेन-बैरे सिंड्रोम क्या है?

गुइलेन- बैरे सिंड्रोम (जीबीएस) यह एक दुर्लभ न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर है. जिसमें शरीर की इम्यूनिटी गलती से अपने ही पेरिफेरेल नसो पर हमला कर देती है. इससे मांसपेशियों में कमजोरी, सुन्न हो जाना औक पैरालाइसिस हो सकता है.

यह आमतौर पर शुरूआती इलाज से ही इस बीमारी को ठीक किया जा सकता है. और 2-3 हफ्ते के अंदर रिकवरी भी देखने को मिलती है. ज्यादातर मरीज पूरी तरह से ठीक हो जाते हैं. हालांकि कुछ मरीजों में बाद में  भी कमजोरी की शिकायत बनी रहती है.

क्या है इसके लक्ष्ण?

स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक जीबीएस के सामान्य लक्षणों में हाथ या पैर में अचानक कमजोरी, लकवा, चलने में परेशानी या अचानक कमजोरी और दस्त हो सकती है.  महाराष्ट्र सरकार ने पहले ही कई उपाय किए है.

एक राज्य स्तरीय त्वारित प्रतिक्रिया दल ने प्रभावित क्षेत्र का दौरा किया. जबकि पुणे नगर निगम और ग्रामीण जिला अधिकारियों को निगरानी गतिविधियां बढ़ाने का निर्देश दिया गया है.  शहर के विभिन्न हिस्सों से पानी के नमूने रासायनिक और जैविक विश्लेषण के लिए सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रयोगशाला में भेजे गए है.

राज्य सरका ने घर-घर निगरानी गितिवियां भी बढ़ा दी है.  और पुणे जिले में कुल 25,578 घरो का सर्वेक्षण किया गया है.

गौरतलब है कि गुइलेन-बैरे सिंड्रोम का कोई इलाज नहीं है ,लेकिन उपचार से लक्षणों को कम किया जा सकता है और ठीक होने में तेजी लाई जा सकती है . इलाज में अधिकतर प्लाज्माफेरेसिस या अंत:शिरा इम्यूनोग्लोबुलिन का उपयोग शामिल है.

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