HMPV वायरस

भारत में मिले HMPV वायरस के 5 संक्रमित मरीज, जानें लक्षण और बचाव का उपाय

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चीन में फैले नये HMPV वायरस के भारत में 5 संक्रमित मरीज मिले हैं.

कर्नाटक में 2, तमिलनाडु में 2 और गुजरात में 1 संक्रमित की पहचान की गयी है. ये सभी बच्चे हैं. दिलचस्प बात यह है कि इन बच्चों का हाल ही में विदेश यात्रा की कोई हिस्ट्री नहीं है.

गौरतलब है कि चीन में नया एचएमपीवी यानी ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस फैला है.

सोशल मीडिया मे वीडियो और तस्वीरों के जरिये दावा किया जा रहा है कि चीन में हालात खराब हैं. वहां अस्पताल और श्मशान घाटों में भारी भीड़ है. हालांकि, भारत के स्वास्थ्य मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि पैनिक सिचुएशन नहीं है.

एचएमपीवी वायरस कोरोना की तरह घातक नहीं है. हालांकि, यह बच्चों, बुजुर्गों और इम्यून के दृष्टिकोण से कमजोर लोगों को अपना शिकार बनाता है.

झारखंड का स्वास्थ्य महकमा अलर्ट
एचएमपीवी को लेकर बढ़ती चिंता के बीच झारखंड का स्वास्थ्य महकमा अलर्ट हो गया है.

स्वास्थ्य विभाग की ओर से अगले 2 दिन में रिम्स में जांच की सुविधा शुरू हो जायेगी. रिम्स के माइक्रोबायोलॉजी विभाग के एचओडी प्रो. डॉ. मनोज कुमार ने कहा कि जांच किट एनआईवी (पुणे) से आयेगा. बाजार से भी किट खरीदे जाएंगे.

इसके बाद जांच की सुविधा शुरू की जायेगी.

गौरतलब है कि एचएमपीवी वायरस का पहली बार पता 2001 मे नीदरलैंड में चला था. हालांकि, यह आमतौर पर जानलेवा नहीं होता है.

बेंगलुरु में 2 बच्चे वायरस से संक्रमित
इस बीच केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया कि बेंगलुरु में 3 महीने की बच्ची को बैपटिस्ट अस्पताल में भर्ती कराया गया था. वह ठीक है और घर लौट गयी है. दूसरे संक्रमित बच्चे का इलाज जारी है.

बेंगलुरु में संक्रमित मिले दोनों बच्चों को ब्रांकोनिमोनिया की शिकायत के बाद अस्पताल में भर्ती कराया गया था जहां उनके एचएमपीवी संक्रमित होने की पुष्टि हुई.

अहमदाबाद नगर निगम के मेडिकल ऑफिसर ने जानकारी दी है कि राजस्थान के डुंगरपुर के 2 माह के बच्चे को 24 दिसंबर को अस्पताल में भर्ती कराया गया था. 2 दिन बाद 26 दिसंबर में उसमें एचएमपीवी संक्रमण का पता चला.

एचएमपीवी वायरस के लक्षण और बचाव
एचएमपीवी वायरस से संक्रमित व्यक्ति को सर्दी, खांसी, बुखार और गले में खराश जैसे लक्षण दिखते हैं.

डॉक्टर सलाह देते हैं कि लोग मास्क का इस्तेमाल करें.

यह वायरस संक्रमित व्यक्ति के सीधे संपर्क में आने से अथवा उसके थूक, बलगम या सांस के संपर्क में आने से फैलता है. सामान्य तौर पर यह अपने आप ठीक हो जाता है. ज्यादा जरूरत होने पर मरीज को ऑक्सीजन सपोर्ट दिया जाता है.

 

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