झारखंड में शिक्षक पात्रता परीक्षा में कई जिलों में जातीय व क्षेत्रीय भाषाओं में नागपुरी और कुडुक भाषा शामिल किये जाने के मामले में अब हेमंत कैबिनेट के मंत्री ने भी मोर्चा खोल दिया है.
हिंदी दैनिक अखबार हिन्दुस्तान में छपी रिपोर्ट के अनुसार शिक्षक पात्रता परीक्षा यानी जेटेट परीक्षा नियमावली ड्राफ्ट को लेकर वित्त मंत्री राधाकृष्ण किशोर ने सीएम को चिट्ठी भी भेजकर आपत्ति जाता दी है.
दरअसल, झारखंड शिक्षक पात्रता परीक्षा नियमावली 2025 अंतर्गत जनजातीय व क्षेत्रीय भाषाओं की सूची में पलामू और गढ़वा जिले के लिए नागपुरी और कुडुख को शामिल किया गया है. इसी मामले को लेकर हेमंत कैबिनेट की मंत्री ने आपत्ति जताते हुए सीएम को चिट्ठी लिखी है.
पत्र में वित्त मंत्री ने क्या लिखा?
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता व वित्त मंत्री राधा कृष्णा किशोर ने भेजे गए अपने पत्र में कहा कि शिक्षा विभाग के द्वारा जेटेट की नियमावली का ड्राफ्ट तैयार किया गया है. इसमें पलामू गढ़वा सहति कई जिलों में शिक्षकों की नियुक्ति में इन इलाकों की स्थानीय भाषा की जानकारी को अनिवार्य किया गया है.
पलामू गढ़वा समेत कई जिलों में जेटेट परीक्षा नियुक्ति में नागपुरी, कुडुख, खडिया, मुंडारी, खोरठा, बंगला, कुरमाली आदि भाषाओं की जानकारी होना अनिवार्य किया गया . लेकिन इन भाषाओं के निर्धारण में कई तरह की त्रुटियां है. क्योंकि पलामू और गढ़वा दोनों जिले के लोग नागपुरी लिपी का प्रयोग देवनागरी (हिंदी) में ही करते हैं.आगे मंत्री राधा कृष्ण किशोर ने अपने पत्र में जिक्र किया है इन दोनों जिलों के लोग भोजपुरी भाषा का ही इस्तेमाल करते हैं और यहां कुडुख भाषा बहुत कम होता है. ऐसे में पलामू और गढ़वा जिले में शिक्षकों की पात्रता के लिए कुडुख भाषा की अनिवार्यता संभवतः विवेकपूर्ण निणर्य नहीं होगा.
“नियमावली मेें भोजपुरी और हिंदी भाषा शामिल किया जाए”
वित्त मंत्री ने अपने पत्र में सीएम हेमंत सोरेन से आग्रह करते हुए लिखा कि जीटेट शिक्षक पात्रता के लिए निर्धारित की गई भाषा में देवनागरी (हिंदी) का स्पष्ट रूप से उल्लेख किया जाए साथ ही भोजपुरी भाषा को भी शामिल किया जाए.
RJD ने भी जाहिर की नाराजगी
वहीं इसी मामले में राजद ने भी नाराजगी जाहिर की है. इंडिया ब्लॉक का महत्वपूर्ण सहयोगी दल आरजेडी ने भी इस मामले नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि पलामू और गढ़वा क्षेत्र में हिंदी , भोजपुरी औऱ महगी भाषा बोली जाती है. अगर इन जिलों में नागपुरी या अन्य क्षेत्रीय भाषाओं की अनिवार्यता की गईतो यहां के नौजवान वंचित जाएंगे. इसलिए सीएम को समग्रता से विचार कर इस नियमावली में जरूरी संसोधन करना चाहिए.
पलामू सांसद बी.डी. राम ने बोला सरकार पर हमला
बता दें कि इससे पहले पलामू के सांसद विष्णु दयाल राम ने झारखंड सरकार पर हमला बोला था. सांसद विष्णुदयाल राम ने कहा था कि झारखंड की सरकार को यह पता नहीं है कि राज्य के किस से इलाके में कौन सी भाषा बोली जा रही है, जिसने भी नियमावली बनाई है उसे भी क्या इसकी जानकारी नहीं है. सांसद ने आगे यह भी कहा था कि सभी भाषाओं को सम्मान देना चाहिए, लेकिन स्थानीय भाषा को भी प्राथमिकता देनी चाहिए. झारखंड सरकार पलामू और गढ़वा के साथ सौतेला व्यवहार कर रही है.
गौरतलब है कि पलामू और गढ़वा बिहार, उत्तर प्रदेश और छत्तीसगढ़ से सटा हुआ है. उत्तर प्रदेश और बिहार से बड़ी सीमा सटी हुई है. इस इलाके में भोजपुरी और मगही भाषा का शुरू से ही प्रभाव रहा है. बड़ी संख्या में लोग इन भाषाओं को लिखते और पढ़ते हैं. स्थानीय भाषा को लेकर पलामू में पहले भी कई आंदोलन हो चुके हैं और भोजपुरी और मगही को शामिल करने की मांग उठती रही है.
बहरहाल अब इंडिया गठबंधन के नेताओं ने जेटेट परीक्षा के नियमावली 2025 में कुडुख और नागपुरी को पलामू और गढ़वा में स्थानीय भाषा की अनिवार्यता किये जाने को लेकर मोर्चा खोल दिया है. अब देखना होगा कि वित्त मंत्री के द्वारा सीएम को चिट्टी भेजकर नियमावली में बदलाव करने का आग्रह किया है उसपर सीएम हेमंत सोरेन क्या विचार करते हैं. फिलहाल यह तो समय आने के बाद ही पता चल पाएगा.