CUJ में स्वास्थ्य पत्रकारिता पर दो दिवसीय कार्यशाला में लिम्फेटिक फाइलेरियासिस पर विशेषज्ञों ने दी जानकारी, 5 अगस्त को हुआ समापन

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झारखंड केंद्रीय विश्वविद्यालय (Central University of Jharkhand) के ब्राम्बे परिसर में स्वास्थ्य पत्रकारिता पर दो दिवसीय कार्यशाला “लिम्फेटिक फ़ाइलेरियासिस पर रिपोर्टिंग- चुनौतियां और समाधान” का समापन आज यानी 5 अगस्त को हुआ. इस कार्यशाला का आयोजन राष्ट्रीय वेक्टर जनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम से जुड़े स्वयंसेवी संस्था और झारखंड केंद्रीय विश्वविद्यालय के जनसंचार विभाग के संयुक्त तत्वावधान में किया गया. इस कार्यक्रम में विश्व स्वास्थ्य संगठन, गेट्स फाउंडेशन, पीसीआई, ग्लोबल हेल्थ स्ट्रेटेजीज, सेंटर फॉर एडवोकेसी एंड रिसर्च जैसी संस्थाओं की भी भागीदारी रही.

बता दें कि कार्यक्रम के दूसरे दिन की शुरुआत तकनीकी सत्र से हुई. जहां विश्व स्वास्थ्य संगठन ( WHO) के झारखंड इकाई के डॉ. अभिषेक पॉल ने फ़ाइलेरिया से जुड़ी तकनीकी जानकारी दी. उन्होंने कहा, “किसी भी विषय पर अपनी बात को प्रभावी तरीके से व्यक्त करने के लिए उस विषय पर तकनीकी जानकारी आवश्यक है.” उन्होंने फाइलेरिया पर मौजूदा स्वास्थ्य सुविधा और फाइलेरिया उन्मूलन में आ रही चुनौतियों पर बातचीत करते हुए कहा कि प्रत्येक नागरिक जो फाइलेरिया से प्रभावित जिलों में रहते हैं उन्हें फाइलेरिया के विषय में जागरूकता की ज़रूरत है. डॉ पॉल ने मीडिया के छात्रों को फाइलेरिया जागरूकता और उन्मूलन के लिए सक्रिय भूमिका निभाने की उम्मीद जताई.

तकनीकी सत्र के बाद वर्चुअल सत्र (Virtual Session) में सेंटर फॉर एडवोकेसी एंड रिसर्च के पेशेंट नेटवर्क प्रतिनिधि रणविजय कुमार और नेहा ने फाइलेरिया रोग से ग्रसित मरीज़ों की परेशानियों के बारे में बताया. उन्होंने बताया कि कैसे लोग फाइलेरिया के बारे में कई मिथकों से जूझ रहे हैं और उन्हें इस रोग के असली कारण के विषय में कोई जानकारी नहीं है.

वहीं, कार्यशाला के दूसरे दिन के तीसरे सत्र में बतौर वक्ता पीसीआई इंडिया में नेशनल ट्रॉपिकल डिजीज प्रोग्राम की वरिष्ठ निदेशक राजश्री दास मौजूद थीं. उन्होंने फाइलेरिया उन्मूलन के लिए सामाजिक कार्य पर पत्रकारिता के छात्रों को संबोधित किया. दूसरे दिन के अंतिम सत्र में वक्ता के रूप में गेट्स फाउंडेशन इंडिया के डॉ. भूपेंद्र त्रिपाठी मौजूद थे. उन्होंने नेशनल ट्रॉपिकल डिजीज पर चर्चा करते हुए फ़ाइलेरिया की समस्या पर विस्तार से चर्चा की. उन्होंने फाइलेरिया के लक्षण पर बात करते हुए सभी मीडिया छात्रों को इस गंभीर बीमारी की जानकारी जन-जन तक पहुंचाने की अपील की.

सभी तकनीकी सत्र के बाद मीडिया छात्रों के बीच कहानी लेखन प्रतियोगिता का आयोजन किया गया. जहां प्रथम पुरस्कार जनसंचार विभाग के स्नातकोत्तर की छात्रा भव्या भारती, द्वितीय पुरस्कार जनसंचार विभाग के स्नातकोत्तर के छात्र राहुल कुमार को और तृतीय पुरस्कार जनसंचार विभाग के स्नातक की अनुष्का वर्मा को दिया गया.

दो दिवसीय कार्यशाला के समापन समारोह में बतौर अतिथि सीयूजे के स्कूल ऑफ मास कम्युनिकेशन एवं मीडिया टेक्नोलॉजी के डीन प्रो. विमल किशोर मौजूद थे. उन्होंने कार्यक्रम की सफलता के लिए पूरे विभाग को बधाई दी और सभी प्रतिभागियों को सम्मनित किया. इस दौरान गेट्स फाउंडेशन इंडिया के डॉ. भूपेंद्र त्रिपाठी भी मौजूद थे.

वहीं, कार्यक्रम के दौरान जनसंचार विभाग के प्रोफेसर देवव्रत सिंह, सहायक आचार्य डॉ. सुदर्शन यादव, सहायक आचार्य डॉ. राजेश कुमार, सहायक आचार्य डॉ. अमृत कुमार, सहायक आचार्य रश्मि वर्मा, तकनीकी सहायक राम निवास सुथार और अजेंगा पमेई मौजूद थे. कार्यक्रम का संचालन जनसंचार विभाग की शोधार्थी पूजा कुमारी और पूजा पाठक ने किया. इस दौरान जनसंचार विभाग के लगभग 100 छात्र-छात्राएं मौजूद थे.

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