झारखंड कांग्रेस के वरीय नेता और लोहरदगा विधायक डॉ. रामेश्वर उरांव ने सिरमटोली फ्लाईओवर के उद्घाटन को आदिवासी भावनाओं के विपरित बताया. बाबूलाल मरांडी के आरोपों पर सहमति जताते हुए डॉ. रामेश्वर उरांव ने कहा कि फ्लाईओवर के निर्माण में आदिवासी भावनाओं की अनदेखी हुई और आनन-फानन में इसका उद्घाटन करने से आदिवासी भावनाएं आहत हुई हैं.
डॉ. रामेश्वर उरांव ने कहा कि पूर्व की सरकार हो या मौजूदा हेमंत सोरेन सरकार, उनको आदिवासी भावनाओं का खयाल रखना चाहिए था.
उन्होंने कहा कि आदिवासी एकजुटता ही हमारी ताकत है.
डॉ. रामेश्वर उरांव ने कहा कि फ्लाईओवर के निर्माण में जिस प्रकार आदिवासी समाज की भावना आहत हुई है, ये दर्द धीरे-धीरे लोगों के दिलों में घर कर जायेगा.
नेक इरादा, निभा रहे वादा…
हमारे अग्रणी मार्गदर्शक कार्तिक उरांव जी के नाम से सिरमटोली फ्लाईओवर आज रांची समेत झारखण्ड की जनता को समर्पित हो गया है। pic.twitter.com/SJRCn6oXMc
— Hemant Soren (@HemantSorenJMM) June 5, 2025
डॉ. रामेश्वर उरांव ने अपनी ही सरकार को घेरा
गौरतलब है कि डॉ. रामेश्वर उरांव का यह बयान हेमंत सोरेन सरकार के लिए काफी असहज करने वाला है.
डॉ. रामेश्वर उरांव कांग्रेस के वरीय नेता हैं और झारखंड मुक्ति मोर्चा कांग्रेस के साथ गठबंधन में प्रदेश में सरकार चला रही है. गुरुवार को फ्लाईओवर का उद्घाटन करते हुए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने विवाद को लेकर कहा था कि कुछ लोग ओछी राजनीति करते हैं. सस्ती लोकप्रियता के लिए आदिवासियों का इस्तेमाल किया जा रहा है लेकिन यह हमारी सरकार की फितरत नहीं है.
फ्लाईओवर को कार्तिक उरांव सेतु का नाम देते हुए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा था कि इसके निर्माण की पृष्ठभूमि में बहुत सारे विवाद हैं लेकिन मैं उसपर नहीं जाना चाहता.
उन्होंने उद्घाटन समारोह में मौजूद जनसमूह से सवाल किया था कि, मैं केवल यह जानना चाहता हूं कि फ्लाईओवर के निर्माण से रांचीवासी खुश हैं या नहीं.
इस फ्लाईओवर के रैंप को लेकर गहरा विवाद है. आदिवासी संगठनों का आरोप है कि फ्लाईओवर का रैंप सिरमटोली केंद्रीय सरनास्थल के ठीक मुख्य द्वार के सामने गिराया गया है जो हमारी सांस्कृतिक और धार्मिक भावनाओं का अपमान है. आदिवासी संगठनों की मांग थी कि फ्लाईओवर रैंप को कहीं और बनाया जाये.
हालांकि, प्रशासन ने फ्लाईओवर के रैंप को मुख्य द्वार से हटा दिया लेकिन आदिवासी संगठनों का कहना था कि रैंप की वजह से सरना स्थल की पूरी चहारदीवारी प्रभावित होती है. भविष्य में कभी भी यहां जुलूस या सभा करने में परेशानी होगी.
जो श्रद्धालु यहां पूजा अर्चना के लिए आते हैं उनको भी परेशानी का सामना करना पड़ेगा.
4 जून को फ्लाईओवर के विरोध में हुआ था झारखंड बंद
सिरमटोली-मेकॉन फ्लाईओवर को जहां हेमंत सोरेन सरकार अपनी उपलब्धि बता रही है. जहां इस फ्लाईओवर को रांची की जनता को हेमंत सोरेन सरकार का तोहफा बताया जा रहा है वहीं सरकार में ही शामिल पार्टी के एक वरीय नेता ने कह दिया है कि फ्लाईओवर का निर्माण आदिवासी भावनाओं के प्रतिकूल है. इससे आदिवासियों की भावनाएं आहत हुई है और भविष्य में नकारात्मक असर डालेगी.
सिरमटोली फ्लाईओवर रैंप के विरोध में 4 जून को आदिवासी संगठनों ने झारखंड बंद बुलाया था.
रांची सहित झारखंड के सभी जिलों में बंद का मिलाजुला असर दिखा. आदिवासी संगठन से जुड़े लोगों ने सड़क पर उतरकर बंद का समर्थन किया. कई जिलों में हाईवे तक जाम कर दिए गये. बाजारों में दुकानों को बंद कराया और आवागमन भी रोका गया था.
हालांकि, सरकार ने अगले ही दिन यानी 5 जून को सिरमटोली-मेकॉन फ्लाईओवर का उद्घाटन कर दिया. अब इस पर सियासत शुरू हो गयी है.
बाबूलाल मरांडी ने आदिवासी भावनाओं के विपरित बताया
नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने भी आरोप लगाया था कि हेमंत सरकार ने जिस आनन-फानन में फ्लाईओवर का उद्घाटन किया है, उससे आदिवासियों की भावना आहत हुई है.
उन्होंने कहा कि कल जिस तरीके से मुख्यमंत्री ने गुपचुप तरीके सरे सिरमटोली फ्लाईओवर का लोकार्पण किया, उससे आदिवासी समाज ठगा हुआ महसूस कर रहा है. उन्होने कहा कि यह लोकार्पण पर्यावरण दिवस के दिन किया गया लेकिन विडंबना यह रही कि प्रकृति और पर्यावरण के उपासक आदिवासी समाज की भावनाओं को पूरी तरह नजरअंदाज किया गया.
बाबूलाल मरांडी ने कहा कि सिरमटोली फ्लाईओवर रांची के यातायात को सुगम बनाएगा लेकिन इसके निर्माण की प्रक्रिया शुरू होने से ही पास में ही स्थित पवित्र सरना स्थल के अस्तित्व पर संकट के बादल मंडराने लगे थे. उन्होंने कहा कि आदिवासी समाज की धार्मिक आस्थाओं की अनदेखी कर बिना कोई वैकल्पिक समाधान निकाले इस फ्लाईओवर का उद्घाटन करना आदिवासियों के साथ धोखा है.
विकास जरूरी है लेकिन विकास की दौड़ में आदिवासी समाज की अस्मिता, आस्था और परंपराओं का सम्मान उतना ही जरूरी है.
अब डॉ. रामेश्वर उरांव ने भी बाबूलाल मरांडी के सुर में सुर मिला दिया है. देखना दिलचस्प होगा कि झारखंड मुक्ति मोर्चा और कांग्रेस पार्टी इस पर क्या प्रतिक्रिया देती है.
मुख्यमंत्री @HemantSorenJMM जी ने कल गुपचुप तरीके से सिरमटोली फ्लाइओवर का लोकार्पण किया, जिससे आदिवासी समाज ठगा हुआ महसूस कर रहा है।
यह लोकार्पण पर्यावरण दिवस के दिन किया गया, लेकिन विडंबना यह रही कि प्रकृति और पर्यावरण के उपासक आदिवासी समाज की भावनाओं को पूरी तरह नजरअंदाज किया…
— Babulal Marandi (@yourBabulal) June 6, 2025
सिरमटोली-मेकॉन फ्लाईओवर की खासियत जान लीजिए
आखिर में उस फ्लाईओवर की खासियत जान लेते हैं जिसकी वजह से झारखंड में सियासी गरमाहट बढ़ गयी है.
335.76 करोड़ रुपये की लागत से बने सिरमटोली-मेकॉन फ्लाईओवर का शिलान्यास 19 अगस्त 2022 को किया गया था. 2 साल, 9 महीने और 16 दिन बाद 5 जून 2025 को इसका लोकार्पण किया गया. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने हिंदू रीति-रिवाज से पूजा -पाठ करके जनता को सौंप दिया.
2.34 किमी लंबा यह फ्लाईओवर पूर्वी भारत का सबसे बड़ा केबल स्टे ब्रिज है.
रेलवे लाइन के ऊपर से फ्लाईओवर 132 मीटर लंबा है तो वहीं हरमू नदी के ऊपर 94 मीटर. पहले मेकॉन चौक से सिरमटोली जाने के लिए औसतन 40 मिनट लगते थे लेकिन, इस फ्लाईओवर की मदद से यह दूरी महज 3 मिनट रह गयी है.
रांची के मेन रोड, डोरंडा, स्टेशन रोड और कडरू को ट्रैफिक जाम से निजात मिलेगी. फ्लाईओवर के निर्माण से निश्चित रूप से रांची में ट्रैफिक आसान हो गया है लेकिन इससे जुड़ा विवाद कहां जाकर थमेगा, फिलहाल कोई नहीं जानता.