झारखंड की हेमंत सरकार और केंद्र की मोदी सरकार के बीच कोयला कंपनियों की रॉयल्टी का विवाद बढ़ता जा रहा है. अब झारखंड के वित्त मंत्री राधाकृष्ण किशोर इस मुद्दे को जीएसटी काउंसील की बैठक में केंद्र सरकार के सामने उठाने वाले है. झारखंड की सरकार लगातार केंद्र सरकार से राज्य का बकाया 1 लाख 36 हजार करोड़ की मांग कर रहे हैं.
इस मामले को लेकर लगातार केंद्र सरकार और बीजेपी पर हमलावर है. हेमंत लगातार सोशल मीडिया पर केंद्र सरकार को घेर रहे हैं और उनसे पैसों की मांग कर रहे है. इन पैसों की मांग पर भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने सीएम हेमंत और झामुमो पर हमला बोला तो वहीं हेमंत सोरेन ने खुला पत्र लिखकर पीएम और बाबूलाल मरांडी को जवाब दिया है.
हेमंत सोरेन द्वारा झारखंड का 1 लाख 36 हजार करोड़ रुपए बकाया की मांग पर बाबूलाल मरांडी ने ट्वीट कर लिखा-
झामुमो के द्वारा हवा-हवाई बातें कर केंद्र सरकार पर ₹1.36 लाख करोड़ का बकाया रखने का निराधार और भ्रामक आरोप लगाया जा रहा है। अगर झामुमो के पास इस आंकड़े को लेकर कोई ठोस प्रमाण है, तो वे पूरे दस्तावेज़ और तथ्यों के साथ जनता के सामने रखें। झामुमो को स्पष्ट करना चाहिए कि ये राशि किस मद की है? कब से लंबित है और किन परिस्थितियों में यह दावा किया जा रहा है? @HemantSorenJMM जी, झूठे आरोपों और गलत आंकड़ों के सहारे केंद्र सरकार पर दोषारोपण करने की बजाय झारखंड की असल समस्याओं पर ध्यान दीजिए। बिना प्रमाण और आधारहीन आरोप लगाकर झारखंड की जनता को भ्रमित करने का यह खेल अब बंद होना चाहिए.
महिलाओं को प्रतिमाह 2500 रुपए, किसानों को प्रति क्विंटल धान के 3200 रुपए और युवाओं को नौकरी देने के झूठे वादे का भंडाफोड़ हो चुका है। इसलिए केंद्र सरकार पर अनर्गल आरोप लगाकर आप अपनी विफलताओं को छिपा सकते। जनता को गुमराह करने की राजनीति से झारखंड का भला नहीं होगा। पूरे तथ्य और प्रमाण के साथ शुचिता की राजनीति करना सीखिए।
बाबूलाल मरांडी के इस ट्वीट का जवाब देते हुए सीएम सोरेन ने लिखा-
हम झारखंडियों की माँग हवा-हवाई नहीं है आदरणीय बाबूलाल जी। यह हमारे हक़, हमारे मेहनत का पैसा है। झारखंडी हकों का आपका यह विरोध वाक़ई दुखद है। जब आपको अपने संगठन की पूरी ताक़त लगा कर हमारे साथ खड़ा होना था – आप विरोध में खड़े हो गए। खैर, हम अपना हक़ अवश्य लेंगे, क्यूंकि यह पैसा हर एक झारखंडी का हक़ है.
इस ट्वीट के साथ सीएम हेमंत ने एक पत्र भी अटैच किया है जिसमें उन्होंने बकाया राशि को लेकर पूरा विवरण दिया है.
पत्र में लिखा है –
माननीय प्रधानमंत्री जी, जोहार
मैं, हेमन्त सोरेन, झारखण्ड का मुख्यमंत्री, आपका ध्यान राज्य के समक्ष आ रही एक गंभीर समस्या की ओर आकर्षित कराना चाहता हूँ। यह समस्या कोयला कंपनियों द्वारा राज्य के बकाया का भुगतान न करने से संबंधित है, जो हमारे राज्य के विकास में बाधक बन रही है।
पत्र में आगे बताया गया है बकाया राशि का विवरणः
कुल बकाया राशि लगभग 1,36,042 करोड़ रुपये है। इसमें शामिल हैं: वॉरड कोयला रॉयल्टी के रूप में 2,900 करोड़ रुपये, पर्यावरण मंजूरी सीमा के उल्लंघन के लिए 32,000 करोड़ रुपये, भूमि अधिग्रहण मुआवजे के रूप में 41,142 करोड़ रुपये (38,460 करोड़ रुपये GM भूमि और 2,682 करोड़ रुपये GM J.J • भूमि के लिए)। इस पर लगी सूद की रकम 60,000 करोड़ रुपये, कुल 1,36,042 करोड़ रुपये
इस बकाया राशि के कारण विकास पर कितना प्रभाव पड़ रहा है ये भी बताया गया है-
इस बकाया राशि के कारण, हमारे राज्य में अनेक महत्वपूर्ण विकास परियोजनाएँ प्रभावित हुई हैं। शिक्षा, स्वास्थ्य, महिला और बाल विकास, स्वच्छ पेयजल एवं मंईयां, बच्चों, युवा, वृद्ध, किसान, मजदूर, आदिवासी-मूलवासी, दलित, अल्पसंख्यक, विस्थापित एवं समाज के अंतिम पायदान पर खड़े व्यक्तियों तक योजनाओं को लागू करने में कठिनाई हो रही है। झारखण्ड, एक अल्प विकसित राज्य है, जो संसाधनों की कमी से गंभीर रूप से प्रभावित हो रहा है। संसाधनों की कमी को पूर्ण करने के लिए उपरोक्त राशि अत्यंत आवश्यक है।
सीएम हेमंत ने इस पत्र में न्यायिक निर्णय का भई जिक्र किया है-
सर्वोच्च न्यायालय की नौ सदस्यीय पीठ ने राज्य के पक्ष में फैसला दिया है। माननीय न्यायालय ने स्पष्ट किया है कि खनन और रॉयल्टी शुल्क वसूलने का अधिकार राज्य को है। यह भी कहा गया है कि रॉयल्टी एक कर नहीं है और इसलिए इस पर कोई सीमा नहीं लगाई जा सकती.
मैं आपसे अनुरोध करता हूँ कि आप इस मामले में हस्तक्षेप करें और कोयला कंपनियों को बकाया राशि का भुगतान करने का निर्देश दें। जब तक पूरी राशि का भुगतान नहीं हो जाता, कोल इंडिया और उसकी सहायक कंपनियों को ब्याज राशि का भुगतान करना चाहिए या कोल इंडिया के खाते से राज्य के खाते में सीधे क्रेडिट किया जाना चाहिए। यह राशि झारखण्ड के लोगों के कल्याण और राज्य के समग्र विकास के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है.
हम आपसे आग्रह करते हैं कि इस मुद्दे का शीघ्र समाधान किया जाए ताकि झारखण्ड के लोग विभिन्न सामाजिक क्षेत्र की योजनाओं का लाभ उठा सकें। यह न केवल राज्य के विकास के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि गरीबी उन्मूलन और लोगों के जीवन स्तर में सुधार के लिए भी आवश्यक है। हम आपके सकारात्मक हस्तक्षेप और त्वरित कार्रवाई की आशा करते हैं। इसके लिए झारखण्ड के लोगों की ओर से, मैं आपका सदैव आभारी रहूँगा.
पुनः जोहार हेमन्त सोरेन मुख्यमंत्री, झारखण्ड.
रिपोर्ट्स की मानें तो झारखंड सरकार का मानना है कि कोयला कंपनी केवल कोल ढुलाई की रॉयल्टी देती लेकिन कायदे से उन्हें प्रोस्सेस्ड कोयले की भी रॉयल्टी देनी चाहिए जो कि वो नहीं देती. झारखंड सरकार के मुताबिक वाश्ड कोल रॉयल्टी का 2900 करोड़ रुपये, कॉमन कॉज का 32 हजार करोड़ रुपये, भूमि मुआवजा का 1,01,142 करोड़ रुपये बाकी हैं. ये कुल मिलाकर 1 लाख 32 हजार करोड़ रुपये होते हैं.
अब झारखंड सरकार कब तक इस बकाया राशि की मांग करेगी.और केंद्र सरकार का इश पर फाइनल निर्णय क्या होगा .इसके लिए थोड़ा और इंतजार करनी होगा.