CM हेमंत सोरेन ने मेधा मिल्क पाउडर प्लांट का किया शिलान्यास

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सीएम हेमंत सोरेन ने शुक्रवार को रांची के होटवार स्थित मेधा मिल्क पाउडर प्लांट का शिलान्यास किया.

बता दें कि झारखंड राज्य का यह पहला मिल्क पाउडर प्लांट होगा. इसके स्थापना होने से झारखंड के हजारों किसानों, विशेषकर दुग्ध उत्पादकों को सीधा लाभ मिलेगा. कार्यक्रम का आयोजन हरिवंश टाना भगत इंडोर स्टेडियम, खेलगांव  में किया गया. जहां बड़ी संख्या में किसान , महिला समूह, जनप्रतिनिधि और स्थानीय लोग उपस्थित थे.

“अब राज्य सरकार किसानों को नया पहचान दे रही है”

वहीं इस मौके पर मंत्री शिल्पी नेहा तिर्की और कांके विधायक सुरेश बैठा मौजूद रहे. सीएम ने अपने संबोधन में कहा कि यह प्लांट केवल दूघ प्रोसेसिंग का नहीं, बल्कि ग्रामीण अर्थव्यव्स्था को सशक्त करने का एक माध्यम है. गांव खेत- खलिहान से जुड़े लोगों का देश की अर्थव्यवस्था में बड़ा योगदान है और इस योगदान को अब राज्य सरकार पहचान दे रही है.

आगे सीएम ने कहा कि जय जवान, जय किसान केवल नारा नहीं बल्कि एक जीवनशैली है. खेती बाड़ी और पशुपालन ऐसे क्षेत्र है जिनमें किसी भी प्रकार का नुकसान नहीं होता, न पर्यावरण को और न ही मानव जीव को ये व्यवस्था अगर मजबूत हो जाए तो समाज, राज्य और देश सब मजबूत होंगे.

पहले गांवों में बच्चों की सेहत बेहतर होती थी, पशुओं की भरमार होती थी. आज हालात बदल चुके हैं, लेकिन सरकार अब इसे सुधारने को संकल्पित है. राज्य के किसानों को हतोत्साहित होने की जरूरत नहीं है, क्योंकि सरकार हर मोर्चे पर उनके साथ खड़ी है.

उन्होंने बताया कि अब जो पशु सरकार द्वारा किसानों को दिए जाएंगे, उनका बीमा भी सुनिश्चित किया जाएगा. यदि किसी कारणवश पशु की मृत्यु होती है, तो किसा राज्य में दूध संग्रहण की प्रक्रिया प्रखंड और पंचायत स्तर तक ले जाने की योजना पर भी कार्य हो रहा है.

मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि “दूध, धान, सब्जी-सब कुछ राज्य सरकार किसानों से खरीद रही है. एक समय था जब केवल दिखावटी योजना चलती थी और बीमार पशु बांटे जाते थे, लेकिन अब ऐसा नहीं होगा.”न को उसकी भरपाई सरकार करेगी.

“धोनी खेती कर सकते हैं तो हम…”

मुख्यमंत्री ने बाजार में बिक रहे नकली खोआ और पनीर पर चिंता जताते हुए कहा कि “अगर हम खुद गुणवत्तापूर्ण दूध और दुग्ध उत्पाद बना सकें तो नकली सामान खाने की नौबत ही नहीं आएगी.”

उन्होंने प्रेरणास्पद उदाहरण देते हुए कहा, “महेंद्र सिंह धोनी जैसे अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी भी खेती करते हैं, सब्जियां विदेश भेजते हैं. जब क्रिकेट खेलने वाला खेती कर सकता है तो हम क्यों नहीं?”

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