नई दिल्ली: भारत में चुनाव के दौरान कितनी बार ऐसा होता है कि हम रियल इश्यूज पर बात कर पाते हैं। वोट बैंक की राजनीति, जातीय समीकरण और तरह तहर के नैरेटिव के कारण असल मुद्दे कभी हमारी नजरों के सामने आते ही नहीं है। दिल्ली में चुनाव हो रहे हैं और दिल्ली के सबसे बड़ी समस्याओं में से एक साफ पानी की किल्लत इस बार भी चुनावी मुद्दा नहीं बन पा रहा है। हालांकि पानी की समस्या को लेकर थोड़ी-बहुत बातें हो रही हैं, लेकिन वे नाकाफी हैं।
दिल्ली में आप सरकार का साफा पानी का दावा कितना सही
आज हम आपको दिल्ली में साफ पानी की किल्लत का हकीकत दिखाने और बताना जा रहे हैं, ताकि आप यह समझ सकें कि दिल्ली में साफ पानी का दावा करने वाली आप की सरकार किस हद कर आपके सामने झूठ परोस रही है।
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने 2024 में दावा किया था कि 97% दिल्ली में पाइपलाइन से साफ पानी पहुंच रहा है,कुछ दिन पहले अरविंद केजरीवाल ने नल से पानी पीकर दिखाया था और घोषणा की थी कि दिल्ली में आप सीधे नल से पानी पी सकते हैं। यानी दिल्ली सरकार नल से आपको पीने योग्य पानी दे रही है। जबकि हालिया रिपोर्ट में इन दावों को झूठा पाया गया है।
इस रिपोर्ट में हुआ खुलासा
दिल्ली में पानी की स्थिति पर आई एक रिपोर्ट ‘सिटिजेंस गाइड –डीकोडिंग डेल्हीज वाटर वोज 2025’ से पता चलता है कि दिल्ली के अधिकतर विधानसभा में सप्लाई किया जा रहा पानी पीने के लिए उपयुक्त नहीं है। नई दिल्ली, शहादरा और कालकाजी इस लिस्ट में शामिल हैं। याद रहे कि ये सीटें क्रमशः पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, विधानसभा स्पीकर रामनिवास गोयल और वर्तमान में दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी मार्लेना की हैं।
इस रिपोर्ट में दो तरह से विधानसभा सीटों को रखा गया है। एक तो ऐसी सीटें हैं, जहां पीने योग्य पानी है, और दूसरे ऐसी सीटें हैं, जहां पानी पीने योग्य नहीं है। आपको जानकर हैरानी होगी कि 70 में से सिर्फ 7 सीटें ऐसी हैं, जहां पानी लायक पानी है, बाकी 63 सीटों में में से 23 सीटें ऐसा हैं, जहां सप्लाई हो रहा पानी पीने के योग्य नहीं है। देवली, बदरपुर, कोंडिल, ओखला, करोल बाग, पालम और पतपड़गंज में पानी पीने लायक है। हालांकि ये सभी सीटें आप के विधायकों की हैं। बाकी 23 सीटें, जहां पीने योग्य पानी नहीं पहुंच रहा है, उनमें से एक सीट भाजपा विधायक विजेंद्र गुप्ता की है, इस सीट का नाम है रोहिणी और बाकी सभी 22 सीटें आप के ही पास है।
जाहिर है दिल्ली में आप बहुमत के साथ है तो दोनों की स्थिति में उनकी सीटें शामिल रहेंगी। लेकिन सवाल यह है ही नहीं कि उन सीटों की विधायक कौन हैं। सवाल है कि राज्य सरकार ने पूरी दिल्ली में साफ पानी देने का वादा किया था, जो कि इस रिपोर्ट के अनुसार झूठ साबित हो रहा है।
दिल्ली के लोग क्या कहते हैं
आप सोचिए कि संगम विहार में एक मां अहले सुबह से ही पानी के लिए टैंकर की दुकान पर खड़ी है। इसके बाद भी उन्हें जो पानी मिलेगा, वह गंदा था। इस तरह संगम विहार में रहने वाले 50 वर्षीय रिक्शा चालक अर्जुन बताते हैं कि उनके लिए दो वक्त की रोटी जुटाना ही मुश्किल होता है, ऊपर से पानी के लिए भी पैसे देने पड़ते हैं। हर महीने ₹1,500 तक पानी पर खर्च हो जाता है। अगर टैंकर नहीं लिया तो गंदा पानी पीने के अलावा कोई चारा नहीं बचता।” राजधानी के कई अन्य इलाकों में भी ऐसी ही स्थितियां हैं, जहां लोग साफ पानी के लिए मजबूर होकर अवैध टैंकर वालों को भारी रकम चुका रहे हैं।
रिपोर्ट कहती है कि दिल्ली का जल संकट केवल सप्लाई की समस्या नहीं है, बल्कि जल स्रोतों की बिगड़ती स्थिति भी इसका कारण है। वज़ीराबाद जलाशय की क्षमता 250 मिलियन गैलन से घटकर मात्र 16 मिलियन गैलन रह गई है, जिससे राजधानी के जल आपूर्ति नेटवर्क पर भारी दबाव बढ़ गया है। वहीं, यमुना नदी में अमोनिया की मात्रा और गंदगी इतनी बढ़ गई है कि यहां का पानी पीने लायक तो छोड़िये, कपड़ा धोने के लिए भी उपयुक्त नहीं है।
दिक्कत की बात है कि सरकार यह मानने को ही तैयार नहीं है कि दिल्ली में गंदा और दूषित पानी सप्लाई हो रहा है। पूर्व मुख्यमंत्री ने तो नल से पानी पीकर दिखा दिया कि पानी शुद्ध है। लेकिन क्या एक नल का पानी पी लेने से पूरी दिल्ली की समस्या सोल्व हो जाती है। ऐसे रिपोर्ट का क्या जवाब सरकार के पास है, यह बात पटल पर आनी चाहिए।
दिल्ली में पानी की समस्या विकराल हो रही है। दो दिन बाद चुनाव हैं, लेकिन अफसोस की बात है कि इस बार भी पानी का मुद्दा उस तरह से नहीं उठाया जा सका। जबकि यह जरूरी है कि कम से कम चुनाव के समय दिल्ली के लोग अपना रियल इश्यूज को पहचानें और जो भी जिम्मेदार लोग हैं, उनसे सवाल करें।