Ranchi : क्या झारखंड में मंईंया सम्मान योजना बंद हो जायेगी. क्या बुजुर्गों, दिव्यांगों और विधवा महिलाओं को मिलने वाली पेंशन की रकम में वृद्धि नहीं होगी. क्या झारखंड में आबुआ आवास सहित अन्य जनकल्याणकारी कार्यों पर ब्रेक लग जायेगा. क्या, झारखंड की हेमंत सरकार को अपनी योजनाओं को धरातल पर लागू करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं से कर्जा लेना होगा.
ये सवाल उठे हैं. जानते हैं क्यों? दरअसल, केंद्र सरकार ने साफ कर दिया है कि वह झारखंड को 1 लाख 36 हजार करोड़ रुपये नहीं देगी. केंद्र सरकार ने यही मानने से इनकार कर दिया है कि उसके पास कोयला रॉयल्टी के रूप में झारखंड का कोई भी पैसा बकाया है. अब योजनाओं पर सवाल क्यों उठेंगे? इसकी वजह है.
हेमंत समेत JMM के कई नेताओं उठाया इस मुद्दे को
चुनाव से पहले और चुनाव के दौरान भी मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, गांडेय विधायक कल्पना मुर्मू सोरेन, झामुमो के सांसद, विधायक और प्रवक्ता यही कहते रहे थे कि यदि हमारा बकाया 1 लाख 36 हजार करोड़ रुपये देगा तो हम सर्वजन पेंशन योजना की राशि बढ़ाकर 1500 रुपये कर देंगे.
मुख्यमंत्री ने कई मौकों पर कहा था कि यदि केंद्र हमारा कोयला रॉयल्टी का बकाया पैसा देगा तो हम मंईंया सम्मान योजना की राशि को 1000 से बढ़ाकर 2500 रुपये प्रतिमाह करेंगे. चुनाव की घोषणा से पहले हेमंत सरकार ने कैबिनेट से मंईंया सम्मान योजना की राशि में वृद्धि का प्रस्ताव पास किया था.
वित्त मंत्री कह चुके हैं कि केंद्र से आने वाली बकाया कोयला रॉयल्टी और खनन-एक्साइज से प्राप्त राजस्व की बदौलत हम मंईंया सम्मान योजना को जारी रखेंगे लेकिन अब तो केंद्र ने किसी भी प्रकार का बकाया होने से ही इनकार किया है. ऐसे में सबसे बड़ा सवाल मंईंया सम्मान योजना के भविष्य पर ही खड़ा हो गया है.
लंबे समय से सरकार कर रही है मांग
गौरतलब है कि झारखंड सरकार के कोयला रॉयल्टी के बकाया को केंद्र सरकार ने ठुकरा दिया है. केंद्र ने साफ शब्दों में कह दिया है कि झारखंड का कोई बकाया नहीं है. बता दें कि राज्य सरकार केंद्र से कोयला रॉयल्टी के 1 लाख 36 हजार करोड़ की मांग लंबे समय से कर रही है है. सोमवार को केंद्र सरकार ने इस दावे को ठुकरा दिया है. ऐसे में अब केंद्र और राज्य सरकार के बीच विवाद बढ़ने की संभावना है.
सदन में पप्पू यादव ने उठाया सवाल
गौरतलब है कि सोमवार को लोकसभा में पूर्णिया संसदीय सीट से निर्दलीय सांसद पप्पू यादव ने पूछा था कि कोयले के राजस्व के रूप में अर्जित कर में झारखंड सरकार की हिस्सेदारी 1 लाख 40 हजार करोड़ केंद्र सरकार के पास लंबित हैं. उसे ट्रांसफर क्यों नहीं किया जा रहा है इसके क्या कारण हैं? जवाब में केंद्र सरकार के वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने संसद में दिए अपने लिखित जवाब में कहा है कि यह सही नहीं है.
कोयले से प्राप्त 1 लाख 40 हजार करोड़ रुपए के राजस्व के रूप में अर्जित कर में झारखंड सरकार का कोई हिस्सा केंद्र सरकार के पास लंबित नहीं है. राज्य के साथ कोई भी भेदभाव नहीं किया जा रहा है. वहीं वित्त मंत्री के इस बयान के बाद राज्य सरकार और केंद्र के बीच एक बार फिर विवाद बढ़ने की संभावना दिखाई दे रही हैं.
बकाया नहीं मिलने से जनकल्याणकारी योजनाएं हुई बाधित
कोरोना महामारी के बाद अपने हर सार्वजनिक भाषण में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने केंद्र पर बकाया झारखंड के 1 लाख 36 हजार करोड़ रुपये का जिक्र किया. उन्होंने आपकी सरकार-आपके द्वार कार्यक्रम से लेकर विधानसभा चुनाव तक अपनी हर सभा और रैली में यही बात दोहराई है कि झारखंड में बुनियादी विकास और जनकल्याणकारी योजनाओं का काम इसलिए नहीं हो पा रहा है क्योंकि केंद्र ने झारखंड का बकाया 1 लाख 36 हजार करोड़ रुपये नहीं लौटाये.
उन्होंने इस कथित राशि को मंईंया सम्मान योजना, सर्वजन पेंशन योजना, आबुआ आवास योजना सहित अन्य तमाम जन कल्याणकारी योजनाओं से जोड़ा. यही नहीं! हालिया संपन्न विधानसभा चुनाव के समय तो झामुमो ने बकायदा होर्डिंग्स लगाकर इस कथित बकाया राशि को लेकर व्यंग्य किया था.
हेमंत सोरेन ने BJP सांसदो से कर दी मांग
अब केंद्र के इनकार के बाद जाहिर है कि राज्य सरकार के साथ उसका टकराव बढ़ेगा. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के ताजा ट्वीट से इसकी शुरुआत भी हो गयी है.
https://x.com/HemantSorenJMM/status/1868877847928225884
मीडिया में 1 लाख 36 हजार करोड़ रुपये की बकाया राशि को लेकर छपी खबर को अपने आधिकारिक सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से शेयर करते हुये मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने लिखा है कि झारखंड भाजपा के सांसदों से उम्मीद है कि वे हमारे इस जायज़ माँग को दिलवाने के लिए अपनी आवाज़ अवश्य बुलंद करेंगे. झारखंड के विकास के लिए यह राशि नितांत आवश्यक है.
JMM ने क्या कहा ?
इसके बाद झारखंड मुक्ति मोर्चा के ऑफिशियल एक्स हैंडल पर भी पोस्ट कर लिखा गया है कि केंद्र सरकार को एक-एक तथ्यात्मक हिसाब दिया गया है. झारखण्ड विरोधी भाजपा के लोग कब तक झूठ बोलते रहेंगे? ये तो हो गई बात झामुमो और हेमंत सोरेन ने क्या कुछ प्रतिक्रिया दी है.
हेमंत सोरेन ने PM मोदी को भी लिखी थी लिट्ठी
1 लाख 36 हजार करोड़ रुपये के इस कथित बकाये पर पिछले तकरीबन 4 साल से केंद्र और राज्य सरकार के बीच टकराव रहा है. राजनीतिक तौर पर भी और प्रशासनिक मोर्चे पर भी. 24 सितंबर 2024 को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने पीएम मोदी को चिट्ठी लिखी थी. यही नहीं! मुख्य सचिव ने भी केंद्र सरकार को चिट्ठी लिखकर अविलंब कोयला रॉयल्टी की बकाया राशि का भुगतान करने का अनुरोध किया था.
भेजे गए पत्र में हेमंत ने क्या लिखा था
पीएम को लिखे पत्र में हेमंत सोरेन ने कहा था कि कोयला कंपनियों पर हमारा 1.36 लाख करोड़ रुपए बकाया है. कानून में प्रावधानों और न्यायिक घोषणाओं के बावजूद कोयला कंपनियां भुगतान नहीं कर रही हैं ये सवाल आपके कार्यालय, वित्त मंत्रालय और नीति आयोग सहित विभिन्न मंचों पर उठाए गए हैं. लेकिन अभी तक यह 1.36 लाख करोड़ का भुगतान नहीं किया गया है.
बकाया राशि का भुगतान न होने के कारण झारखंड का विकास और आवश्यक सामाजिक-आर्थिक परियोजनाएं बाधित हो रही हैं. शिक्षा, स्वास्थ्य, महिला एवं बाल विकास, स्वच्छ पेयजल और अंतिम छोर तक कनेक्टिविटी जैसी सामाजिक क्षेत्र की विभिन्न योजनाएं धन की कमी के कारण जमीनी स्तर पर लागू नहीं हो पा रही हैं.
हालांकि 1.36 करोड़ बकाया राशि को केंद्र सरकार ने साफ इनकार कर दिया है. खैर अब देखना होगा कि झारखंड सरकार आगे की क्या राणनीति बनाती है इस भुगतान को वापस लेने के लिए.