TFP/DESK : झारखंड में भाजपा प्रदेश अध्यक्ष का बदलाव जनवरी महीने में होने की कोई संभावना नहीं है. इसके अलावे राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव में राज्य की कोई भी भूमिका नहीं रहने वाली है. लेकिन सवाल है क्यों ? इसके पीछे क्या वजह है ?
हम आपको इस आर्टिकल में बताएंगे लेकिन उससे पहले आपको बता दें कि बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव जनवरी के तीसरे या चौथे सप्ताह तक चुनाव हो जाए. वहीं झारखंड प्रदेश भाजपा अध्यक्ष का चुनाव फरवरी से पहले होने की कोई संभावना नहीं है.
दिसंबर के पहले सप्ताह में विधानसभा में पार्टी के हार को लेकर चले दो दिन के मंथन के बाद प्रदेश भाजपा प्रभारी लक्ष्मीकांत वाजपेयी ने कहा था कि सदस्यता अभियान के माध्यम से कार्यकर्ता को संरक्षण देने वाले संगठन का निर्माण करेंगे। फरवरी तक नए प्रदेश अध्यक्ष का निर्वाचन हो जाएगा.
बहरहाल, अब आपको बताते हैं राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव में झारखंड की भूमिका क्यों नहीं रहेगी. दरअसल, राज्य में अब तक सदस्यता अभियान शुरू नहीं किया गया है.
बगैर सदस्यता अभियान के प्रदेश अध्यक्ष का चुनाव संभव नहीं है. ऐसे में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव में झारखंड की कोई भूमिका नहीं होगी. अगर वोटिंग हुई तो झारखंड की ओर से कोई वोट नहीं डाल पाएगा.
बता दें कि केंद्रीय संगठन ने 29 राज्यों के प्रदेश अध्यक्ष के चुनाव के लिए चुनाव अधिकारियों के नाम की घोषणा कर दी है. इसमें झारखंड के साथ-साथ महाराष्ट्र और जम्मू-कश्मीर का नाम नहीं है.
झारखंड में 14 जनवरी तक चलेगा भाजपा का सदस्यता अभियान
गौरतलब है कि झारखंड में अभी सदस्यता अभियान चलाया जा रहा है. यह अभियान 14 जनवरी तक चलेगा. इसके बाद सक्रिय सदस्य बनाए जाएंगे. फिर मंडल और जिला अध्यक्षों के चुनाव की प्रक्रिया शुरू होगी. आधे से अधिक बूथ कमेटियां बनने पर मंडल अध्यक्षों का चुनाव होगा.
इसी तरह आधे से अधिक मंडलों अध्यक्षों का चुनाव होने पर ही जिला अध्यक्षों का चुनाव होगा. जबकि आधे जिला अध्यक्षों के निर्वाचन के बाद प्रदेश अध्यक्ष के चुनाव का समय तय किया जाएगा. ऐसे में स्पष्ट है कि फरवरी के दूसरे या तीसरे सप्ताह के बाद ही प्रदेश अध्यक्ष के चुनाव के लिए तिथी की घोषणा की जाएगी.
मालूम हो कि अभी झारखंड में प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी है. जबकि रवींद्र कुमार राय कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष की भूमिका में हैं. विधानसभा चुनाव में भाजपा को मिली हार के बाद केंद्रीय नेतृत्व इस पर गंभीर रूप से विचार विर्मश कर रहा है कि प्रदेश संगठन की बागडोर किसके हाथ में सौंपी जाए.
हालांकि प्रदेश अध्यक्ष कौन होगा ? यह अब तक स्पष्ट नहीं हुआ है. लेकिन चर्चा ये भी कि राज्यपाल के पद से इस्तीफा देने के बाद रघुवर दास को यह जिम्मेवारी आलाकमान सौप सकती है. या फिर केंद्रीय नेतृत्व में कोई बड़ी जिम्मेदारी दे सकती है.
20 या 29 जनवरी को राष्ट्रीय अध्यक्ष का होगा चुनाव
वहीं राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव की तिथि की घोषणा किसी भी समय हो सकती है.ऐसी संभावना है कि 20 जनवरी तक 29 राज्यों के अध्यक्षों का चुनाव हो जाएगा.
जिन नेताओं को प्रदेश अध्यक्ष एवं राष्ट्रीय परिषद सदस्य चुनाव के लिए चुनाव अधिकारी बनाया गया है, उन्हें कहा गया है कि 20 जनवरी तक वे प्रदेश अध्यक्षों और राष्ट्रीय परिषद सदस्यों का चुनाव कर लें.