भाजपा का हाईकमान अपने 20 सांसदों से खफा है. बात इतनी बढ़ गयी है कि इन 20 सांसदों को पार्टी नोटिस जारी करने की तैयारी में है. मामला दरअसल, वन नेशन-वन इलेक्शन बिल से जुड़ा है.
बताया जा रहा है कि आज लोकसभा में वन नेशन-वन इलेक्श बिल पर वोटिंग के समय ये 20 सांसद सदन से नदारद थे.
इन सांसदों की गैरमौजूदगी नाराजगी का कारण इसलिए है क्योंकि पार्टी ने इन सभी को बिल पर वोटिंग के समय सदन में उपस्थित रहने के लिए व्हिप जारी किया था.
गौरतलब है कि आज लोकसभा में वन नेशन-वन इलेक्शन बिल पेश किया गया. इस बिल के समर्थन में 269 वोट पड़े जबकि विपक्ष में 198 सांसदों ने वोट किया. हाल ही में इस बिल को केंद्रीय कैबिनेट की मंजूरी मिली थी.
लोकसभा में पेश करने के बाद इस विधेयक को ज्वॉइंट पार्लियामेंट्री कमिटी को भेज दिया गया है.
मोदी सरकार इस बिल पर सर्वदलीय सहमति बनाना चाहती है.
झामुमो सहित कई पार्टियां बिल के विरोध में
झारखंड मुक्ति मोर्चा, टीएमसी, आरजेडी, समाजवादी पार्टी और डीएमके सहित अन्य क्षेत्रीय पार्टियों ने इस बिल का विरोध किया है.
भाकपा (माले) ने भी विरोध किया है. भाकपा (माले) ने कहा कि उन्होंने अपनी आपत्ति पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली 8 सदस्यीय कमिटी के सामने पहले ही दर्ज करा दी थी.
झारखंड मुक्ति मोर्चा के प्रवक्ता सुप्रियो भट्टाचार्य ने तो इसे क्षेत्रीय दलों को समाप्त करने की साजिश बताया था.
उन्होंने कहा था कि वन नेशन-वन इलेक्शन बिल मनुस्मृति और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के विचारों से प्रभावित है. उन्होंने लोजपा और जेडीयू से भी कहा था कि वे वन नेशन-वन इलेक्शन बिल का विरोध करें.
बिल पर सर्वदलीय सहमति चाहती है सरकार
गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में 8 सदस्यीय कमिटी गठित की थी.
इस कमिटी को देश में वन नेशन-वन इलेक्शन की संभावना तलाशने का जिम्मा सौंपा गया था.
सरकार चाहती है कि देश में लोकसभा सभा, विधानसभा औऱ स्थानीय निकाय के चुनाव एक साथ या अधिकतम 100 दिन के अंतराल पर हो. इस कमिटी ने अपनी रिपोर्ट मार्च 2024 में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को सौंप दी थी.
फिर समिति ने 5 सिफारिशें सरकार के सामने रखी है. इसी आधार पर विधेयक लाया गया है.