नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने कहा है कि झारखंड शराब घोटाला केस में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की भूमिका संदिग्ध है. एसीबी को समन करके उनसे भी उनका पक्ष जानना चाहिए.
बाबूलाल मरांडी ने कहा कि एसीबी को बिना किसी राजनीतिक दबाव के सीएम की भूमिका की निष्पक्ष जांच करनी चाहिए.
उन्होंने कहा कि झारखंड का शराब घोटाला दिल्ली के शराब घोटाले से कहीं ज्यादा बड़ा है. इतना बड़ा घोटाला केवल विभाग के अधिकारियों, प्लेसमेंट एजेंसियों और कुछ कर्मचारियों तक ही सीमित नहीं हो सकती बल्कि इस पूरे प्रकरण में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की भूमिका की भी जांच की जानी चाहिए, वह भी संदेह के घेरे में हैं.
गौरतलब है कि एसीबी ने 31 मार्च 2023 को झारखंड में लागू नई शराब नीति में गड़बड़ी करके सरकारी राजस्व को नुकसान पहुंचाने के आरोप में उत्पाद विभाग के तात्कालीन सचिव आईएएस विनय कुमार चौबे और उत्पाद विभाग के सहायक आय़ुक्त गजेंद्र सिंह को गिरफ्तार किया था.
गिरफ्तारी के बाद दोनों को न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया था जहां से एसीबी को इनकी 2 दिन की रिमांड मिली है.
सीएम हेमंत को पहुंचाया गया आर्थिक लाभ!
बाबूलाल मरांडी ने कहा कि छत्तीसगढ़ की जिन कंपनियों को झारखंड में शराब कारोबार का जिम्मा सौंपा गया, उनसे सीएम हेमंत सोरेन को किन माध्यमों से आर्थिक लाभ पहुंचाया गया इसकी जांच होनी चाहिए.
उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो मुख्यमंत्री को समन भेजे और उनका पक्ष जानने के लिए उनसे पूछताछ करे.
उन्होंने कहा कि 100 करोड़ रुपये के घोटाले में बगैर किसी राजनीतिक दबाव की जांच करे. बाबूलाल मरांडी ने दोहराया कि इतना बड़ा घोटाला बिना सरकारी संरक्षण के संभव नहीं है.
शराब घोटाला केस में अब तक 5 गिरफ्तारी
इस केस में अब तक आईएएस विनय कुमार चौबे और उत्पाद विभाग के सहायक आयुक्त गजेंद्र सिंह सहित 5 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है.
एसीबी ने आईएएस विनय कुमार चौबे के साले सहित 8 रिश्तेदारों को भी नोटिस जारी करके पूछताछ के लिए बुलाया है.