झारखंड में दिन देख बीमार पड़ें, रविवार को डॉक्टर बाबू छुट्टी मनाते हैं; बाबूलाल मरांडी ने किया तंज

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रांची:

प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने धनबाद सदर अस्पताल में रविवार को डॉक्टरों की गैरमौजूदगी को लेकर राज्य की हेमंत सोरेन सरकार को आड़े हाथों लिया है. बाबूलाल मरांडी ने हिंदी दैनिक अखबार दैनिक जागरण में छपी खबर के हवाले से सरकार पर निशाना साधते हुए कहा है कि रविवार को बीमार पड़ना मना है, सूचना जनहित में जारी. दरअसल, दैनिक जागरण की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि रविवार को धनबाद सदर अस्पताल में कोई डॉक्टर नहीं था. एक मेडिकलकर्मी ही मरीजों को हल्की-फुल्की दवायें देकर मरहम-पट्टी कर रहा था. रिपोर्ट में दावा किया गया है कि धनबाद सदर अस्पताल की ओबीडी की मुख्य बिल्डिंग के गेट पर ताला लगा था.

बाबूलाल मरांडी ने रिपोर्ट पर सरकार को घेरा
बाबूलाल मरांडी ने उक्त रिपोर्ट के हवाले से कहा कि झारखंड में रविवार को बीमार पड़ने की सख्त मनाही है. उल्लंघन करने वालों को अपनी जान की रक्षा स्वयं करनी होगी. दरअसल, रविवार को डॉक्टर छुट्टी पर और स्वास्थ्य व्यवस्था भगवान भरोसे रहती है. इसलिए अब बीमार पड़ने से पहले समय और दिन भी देखना होगा. गौरतलब है कि दैनिक जागरण की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि अस्पताल के ओबीडी बिल्डिंग के मुख्य द्वार पर ताला लटका था. अस्पताल के पीछे आपातकालीन विभाग के बाहर मरीजों की भारी भीड़ थी लेकिन, उनका इलाज करने को कोई भी डॉक्टर मौजूद नहीं था. केवल इतना ही नहीं, गोमिया आरपीएफ थाने से 2 कैदियों को मेडिकल कराने पहुंचे हवलदार बीएन सिंह को भी घंटों इंतजार करना पड़ा. कई मरीज इलाज कराये बिना ही वापस लौट गये. रिपोर्ट में दावा किया गया है कि ड्यूटी रोस्टर में डॉ. विक्रमजीत सिंह का नाम था लेकिन, वे अस्पताल में नहीं थे. पूछने पर तर्क दिया कि उनको एसएनएमएमसीएच भेजा गया है तो फिर रोस्टर में नाम चढ़ाने का औचित्य क्या है. बाद में सूचना देने पर प्रभारी चिकित्सक डॉ. राजकुमार सिंह अस्पताल आये और मरीजों का इलाज शुरू किया.

झारखंड में डॉक्टरों की घोर कमी है
अस्पताल प्रबंधन ने डॉक्टरों की कमी का हवाला दिया और यह गलत भी नहीं है. झारखंड में पीएचसी, सीएचसी और जिला अस्पताल में डॉक्टरों की भारी कमी है. स्वास्थ्य विभाग ने वेकैंसी निकाली भी तो आवेदक नहीं मिले. राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग की रिपोर्ट बताती है कि झारखंड में प्रति 3 हजार नागरिकों पर 1 डॉक्टर है जबकि विश्व स्वास्थ्य संगठन के मानक के हिसाब से इसका अनुपात प्रति हजार नागरिक पर 1 डॉक्टर होना चाहिए. ये चिंताजनक इसलिए भी है क्योंकि अभी हाल ही में हाथरस भगदड़ की घटना हुई थी. तब हाथरस जिले में एक सत्संग में भगदड़ मचने से 120 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई थी. तब रिपोर्ट्स में यह बात सामने आई थी कि नजदीकी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में डॉक्टर, नर्सिंग स्टाफ जीवनरक्षक दवाइयों और उपकरणों की भारी कमी थी. लोगों को समय पर इलाज नहीं मिला औऱ वे मारे गये. ऐसा हादसा कहीं भी हो सकता है. खुद सोचिए कि अगर, अस्पताल में डॉक्टर मौजूद न हों और कोई बड़ा हादसा हो जाये तो मरीजों का इलाज कैसे होगा. हादसा छोड़िए, अगर किसी मरीज को गंभीर हालत में लाया जाये जिसको तत्काल उपचार की जरूरत हो तब क्या किया जा सकेगा.

विपक्ष ने डॉक्टरों की कमी पर सरकार को घेरा
बाबूलाल मरांडी ने आगे तंजात्मक लहजे में कहा कि हेमंत सोरेन सरकार का निर्देश है कि झारखंड में आपातकालीन सेवाएं पूरी तरह से बाधित हैं और रहेंगी. अस्पतालों में ताला देख अचंभित न हों बल्कि, निजी अस्पतालो का रुख करें अबुआ सरकार में इलाज की उम्मीद न करें. उम्मीद करना भी गुनाह माना जायेगा. इस मसले को लेकर विपक्ष सरकार पर हमलावर है. चुनावी मौसम में देखना यह है कि सरकार इसे कितनी गंभीरता से लेती है.

 

 

 

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