झारखंड में 34वें राष्ट्रीय खेल आयोजन में करोड़ों का घोटाला किया गया था. इसका खुलासा सीबीआई जांच में हुआ है. सीबीआई जांच में क्या मिला है.
34वें राष्ट्रीय खेल का आयोजन कब हुआ था. इस खेल घोटाले में कौन-कौन शामिल थे. इस मामले में कब- कब सुनवाई हो चुकी है.
CBI जांच में हुए ये खुलासे
सबसे पहले बता देते हैं कि सीबीआई जांच में क्या खुलासे हुए हैं. सीबीआई जांच में पता चला है दिल्ली की कंपनी मेसर्स शिवनरेश स्पोर्ट्स प्राइवेट लिमिटेड ने बास्केटबॉल और बॉक्सिंग उत्पादों में घनघोर घपला किया जिससे सरकार को 1 करोड़19 हजार लाख 51 हजार 335 रुपए का नुकसान हुआ.
इस खेल घोटाले की जांच के दौरान सीबीआई को यह तथ्य मिले के खेल आयोजन के लिए गठित टेंडर समिति की मिलीभगत के कारण शिवनरेश कंपनी को टेंडर का आवंटन किया गया.
जबकि अन्य योग्य बीडर्स सप्लाई के लिए टेंडर प्रक्रिया में शामिल हुए थे. वहीं इस टेंडर का आवंटन भी एल-वन करते हुए शिवनरेश को दिए जाने का जिक्र सीबीआई ने किया है.
CBI ने तथ्यों को कोर्ट में सौंपा
जांच एजेंसी ने इन तथ्यों से सीबीआई कोर्ट को भी सौंपा है. इसके बाद कोर्ट ने कंपनी निदेशक की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी है. सीबीआई के मुताबिक कंपनी के खिलाफ केस नबंर आरसी 2ए 2022 में नामजद प्राथमिकी दर्ज नहीं की गई थी. लेकिन जांच में कंपनी की भूमिका सामने आई है.ये तो हो गई सीबीआई जांच में क्या खुलासे हुए हैं.
इन पर लगा है घोटाले का आरोप
अब आपको बताते हैं इस घोटाले में कौन-कौन मुख्य आरोपी हैं. 34 वें राष्ट्रीय खेल आयोजन समिति के अध्यक्ष आरके आनंद झारखंड ओलंपिक एसोसिएशन के संगठन सचिव एसएम हाशमी, कोषाध्यक्ष मधुकांत पाठक , तत्कालीन खेल निदेशक पीसी मिश्रा के खिलाफ पहली बार एसीबी ने साल 2010 में एफआईआर दर्ज की थी.
लेकिन झारखंड हाईकोर्ट के आदेश पर साल 2022 में सीबीआई ने नए सिरे से केस की जांच करना शुरू किया था.
2011 में हुआ था आयोजन
बहरहाल, साल 2007 में गुवाहाटी में 33 वें खेल के समापन के बाद साल 2008 में 34वें नेशनल गेम्स की शुरुआत हो गई. लेकिन अलग-अलग कारणों से राज्य में इस खेल का आयोजन 6 बार टालना पड़ा. जिसके बाद आखिरकर साल 2011 में खेल का आयोजन हुआ.
4 साल तक टलता रहा आयोजन
रांची, जमशेदपुर और धनबाद जिले में इस खेल का आयोजन 12 फरवरी से 26 फरवरी तक किया गया. माने खेल के आयोजन के लिए तकरीबन 4 साल लग गए.
इस खेल के लिए रांच में स्पोर्ट्स कॉम्लेक्स का निर्माण कराया गया. कॉम्प्लेक्स के निर्माण से लेकर खेल सामग्री तक की खरीदरी में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी के आरोप लगे.
सबसे दिलचस्प बात तो यह थी कि खेल का आयोजन शुरू होने से पहले ही घोटाले को लेकर साल 2010 में ही झारखंड के एसीबी माने एंटी करप्शन ब्यूरो ने एफआईआर दर्ज कर दी.
सालों बीत गए पर जांच पूरी नहीं हो पाई
अलग- अलग मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक जांच के दौरान पूर्व खेल निदेशक पीसी मिश्रा, आयोजन समिति सचिव एसएम हाशमी और कोषाध्यक्ष मधुकांत पाठक को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया.
लेकिन, 12 साल बीतने के बाद भी जांच पूरी नहीं हो पाई. जिसके बाद हाईकोर्ट के आदेश पर सीबीआई ने एफआईआर दर्ज की. इसमें अज्ञात पब्लिक सर्वेंट्स एवं अज्ञात प्राइवेट व्यक्तियों के खिलाफ जांच शुरू हुई, लेकिन साक्ष्यों का अभाव बताते हुए उसने क्लोजर रिपोर्ट फाइल कर दी.
7 फरवरी 2024 को क्लोजर रिपोर्ट किया गया था दाखिल
गौरतलब है कि झारखंड हाईकोर्ट के आदेश पर ही सीबीआई ने अप्रैल 2022 में इस घोटाले की जांच शुरू की थी. जिसके बाद ही जांच पूरी होने के बाद 7 फरवरी 2024 को ठोस साक्ष्य के कारण क्लोजर रिपोर्ट दाखिल की थी.
उस दौरान सीबीआई ने कहा था कि घोटाले का कोई पुख्ता आधार नहीं है इसलिए इस केस को बंद किया जाए.
लेकिन एक बार फिर खूद ही सीबीआई ने यह दावा किया है कि राष्ट्रीय खेल में करोड़ो रुपए के घोटाले हुए है. और खेल उपकरणों की आपूर्ति में कंपनी ने बड़ा घपला किया जिसके रिपोर्ट्स सीबीआई ने अब अदालत को सौंपी है.
खैर! अब देखना होगा कि 13 साल बीत जाने के बाद क्या नेशनल गेम्स घोटाले में पूरी जांच हो पाएगी या नहीं. या फिर जांच का दायरा अधूरा ही रह जाएगा