23 अगस्त की सुबह ईडी ने छ्त्तीसगढ़ शराब घोटाला मामले में 32 अलग-अलग ठिकानों पर छापेमारी की थी. इस छापेमारी को लेकर एक नाम सभी के जुबान पर था. वो नाम था शराब और जमीन कारोबारी योगेंद्र तिवारी का.
इसी मामले में आज योगेंद्र तिवारी रांची के ईडी कार्यालय पहुंचे हैं. योगेंद्र अपने साथ तीन बैग लेकर आए थे. ये अनुमान लगाया जा रहा है कि योगेंद्र और उसके साथ जो व्यक्ति था. जिसके हाथ में वो बैग था. उस बैग में शराब कारोबार से जुड़े कागजात हो सकते हैं. आपकी जानकारी के लिए बता दें कि योगेंद्र तिवारी जब ईडी कार्यालय पहुंचे तब ये देखा गया कि वे किसी कपड़े से अपना चेहरे को ढ़ककर कार्यालय के अंदर जा रहे थे.
दोनों भाई से ईडी ने शुरू की पूछताछ
शराब कारोबारी योगेंद्र तिवारी और उसके भाई अम्रेंद्र तिवारी से ईडी कार्यालय में पूछताछ शुरू हो चुकी है. इन दोनों से ईडी इस बारे में पूछताछ कर रही है कि वे दोनों ईडी के कुछ अफसरों पर जासूसी क्यों करवा रहे थे.
आपको बता दें कि प्रेम प्रकाश के घर पर जब छापा पड़ा था, तब से ही योगेंद्र तिवारी ईडी के अफसरों पर नजर रखे हुए थे. इसके लिए तिवारी भाइयों ने बाकायदा जसूसी करने वाली एजेंसी की भी मदद ली थी.
क्या है छत्तीसगढ़ शराब घोटाला
छत्तीसगढ़ में शराब के कारोबार में बड़ा घोटाला किया गया जिससे छत्तीसगढ़ के राजस्व में 2 हजार करोड़ रुपए का नुकसान हुआ. ये घोटाला पूरी प्लानिंग के तहत की गई है. इस घोटाले में होलोग्राम का महत्वपूर्ण रोल रहा है.
छत्तीसगढ़ के शराब के व्यापार में लगे लोगों और अधिकारियों की मदद से शराब के कारोबार की समानांतर व्यवस्था कायम की गयी थी. इस समानांतर व्यवस्था कायम करने और उसे चलाने के पीछे छत्तीसगढ़ स्टेट मार्केटिंग कॉर्पोरेशन लिमिटेड यानी CSMCL के प्रबंध निदेशक अरुणपति त्रिपाठी, होलोग्राम छापनेवाली ‘प्रिज्म होलोग्राम एंड फिल्म सिक्यूरिटीज लिमिटेड नामक कंपनी और खुदरा दुकान चलाने के लिए मैनपावर सप्लाई करनेवाली कंपनी मेसर्स सुमित फेलिसिटीज लिमिटेड का नाम शामिल है.
ईडी ने छत्तीसगढ़ शराब घोटाले की जांच में पाया कि राजनीतिक सहयोग से इन तीनों का नियंत्रण छत्तीसगढ़ का शराब कारोबारी अनवर ढेबर करता था और कमीशन की वसूली करता था.
रिपोर्ट की मानें तो छत्तीसगढ़ में 800 सरकारी शराब की दुकानें हैं और यहां प्राइवेट शराब दुकान खोलने की मनाही है. अब ईडी ने केस का खुलासा करने के लिए कुछ तरीके अपनाए , ईडी ने नियमसंगत हुई बिक्री शराब की बोतलों को ‘अकाउंटेड सेल’ और गलत तरीके से सरकारी संसाधनों का इस्तेमाल कर हुई शराब की बिक्री को ‘अन अकाउंटेड सेल’ के रूप में चिह्नित किया. इडी ने ‘अकाउंटेड सेल’ की श्रेणी में शराब की उन बोतलों को शामिल किया है, जिन पर सरकार के माध्यम से उपलब्ध कराये गये होलाग्राम लगा कर खुदरा दुकानों में बेचा गया. वहीं, ‘अन अकाउंटेड सेल’ की श्रेणी में उन शराब की बोतलों को शामिल किया गया है, जिन बोतलों को प्रिज्म द्वारा होलोग्राम छाप कर सीधे शराब बनाने वाली कंपनियों को दे दिया जाता था.
इसके बाद शराब बनानेवाली कंपनियां ऐसी होलोग्राम लगी बोतलों को सीधे सरकार की खुदरा दुकान तक पहुंचा दिया करती थीं. इसका कोई हिसाब किताब सरकार के पास नहीं होता था. दुकानों में मैनपावर सप्लाई करनेवाली कंपनी सुमित फैलिसिटीज ने अपने कर्मचारियों को ट्रेनिंग दे रखी थी कि वे फैक्ट्री से सीधे दुकान पहुंचने वाली शराब की बिक्री पर ज्यादा ध्यान दें. सरकारी संसाधनों का इस्तेमाल कर ‘अन अकाउंटेड सेल’ का पूरा पैसा शराब की समानांतर व्यवस्था कायम करने वाले लोगों के पास गया और इसे अफसरों और पॉलिटिशियनों में बांटा गया. छत्तीसगढ़ में गलत तरीके से शराब बेचकर फायदा कमाने के लिए ये पूरा खेल खेला गया.