रूंधे गले से सुनीता देवी हमें बताती हैं कि धनकटनी और दिहाड़ी मजदूरी करके मैंने 3,000 रुपया अपने बैंक ऑफ बड़ौदा के खाते में जमा किया था. मेरे पैरों तले जमीन खिसक गई जब मुझे बताया गया कि मेरा पूरा बैंक अकाउंट खाली हो चुका है.
उसमें जीरो बैलेंस है.
सुनीता झारखंड के संताल परगना प्रमंडल के साहिबगंज जिला स्थित बोरियो प्रखंड अंतर्गत जादूटोला धोगड़ा गांव की रहने वाली हैं.
खेतिहर मजदूर सुनीता ने पिछले साल नवंबर-दिसंबर महीने में धान की फसल की कटाई करके कमाई हुई पूरी रकम कंबल लेने के चक्कर में गंवा दिया है.
सुनकर हैरानी होगी लेकिन यही सच है कि जादूटोला (धोगड़ा) गांव के दर्जन भर से ज्यादा लोगों ने महज एक कंबल की खातिर अपनी गाढ़ी कमाई गंवा दी और कई लोग अभी भी गंवा रहे हैं.
इस वाकये की जानकारी मिली तो मैं भी हैरान था कि ऐसा कैसे हो सकता है?
आखिरकार मैंने खुद गांव जाकर पूरा मामला समझने का फैसला किया.
सोमवार (23 सितंबर) को सुबह मैं सहयोगी विक्की और 2 स्थानीय युवकों को लेकर बोरियो प्रखंड मुख्यालय से तकरीबन 15 किमी दूर संताल आदिवासी बहुल गांव जादूटोला (धोगड़ा) पहुंचा.
सुनीता देवी, पीड़ित
जादूटोला (धोगड़ा) गांव में हैरान करने वाली घटना
जब मैं गांव पहुंचा तो इक्का-दुक्का लोग ही नजर आये. पूछने पर पता चला कि कुछ लोग बोरियो प्रखंड के ही बीचपुरा गांव में भैंसा लड़ाई देखने गये हैं.
वहीं पीड़ितों में से कुछ लोग खेतों में काम करने चले गये थे.
हालांकि, हमारे आने की सूचना मिलने पर ग्रामीण इकट्ठा हो गये. मैं हैरान था कि ग्रामीण शुरुआत में हमें संदेह की निगाह से देख रहे थे.
वे आपस में संताली भाषा में बातचीत कर रहे थे कि कहीं हम भी कंबल, मच्छरदानी, गैस चूल्हा या फिर सोलर लाइट बांटने तो नहीं आये हैं?
हमारे साथ गये 2 स्थानीय युवकों द्वारा यह समझाने पर कि ये मीडिया के लोग हैं और आपके साथ घटी घटना की जानकारी लेना चाहते हैं, वे बातचीत करने को राजी हुये.
जादूटोला (धोगड़ा) के ग्रामीणों ने सुनाया अपना दर्द
गांव ही ही उत्क्रमित प्राथमिक विद्यालय में रसोइया का काम करने वालीं संझली मड़ैया ने बताया कि उनके खाते से दिसंबर 2023 से लेकर अगस्त 2024 के बीच 30,000 रुपये की निकासी कर ली गई है.
उन्हें नहीं पता कि पैसे कौन निकाल रहा है. ये सारा पैसा संझली को मानदेय के तौर पर मिला था.
संझली तकरीबन रुआंसी होकर बताती हैं कि उनके खाते से अब भी गाहे-बगाहे उनकी बिना जानकारी के पैसों की निकासी हो जाती है.
संझली, कहती हैं कि हमें क्या पता था कि एक कंबल हमें कंगाल बना देगा.
संझली मड़ैया (इन्होंने 30,000 रुपये गंवाये हैं)
वहीं पास खड़ीं काजल देवी सकुचाते हुए बताती हैं कि मेरे खाते से 3,000 रुपये निकाल लिए गये.
काजल ने बताया कि उन्होंने यह रकम नवंबर-दिसंबर में धनकटनी से कमाई थी. बताती हैं कि बैंक में पूछा था लेकिन कोई खास मदद नहीं मिली. थक-हारकर मैंने खाते में पैसा रखना ही बंद कर दिया.
काजल कहती हैं कि कम से कम बैंक को हमारी सहायता करनी चाहिए थी. काजल बताती हैं कि मैंने कंबल लेने के लिए ठेपा (बायोमैट्रिक पंच) लगाया था.
2 सप्ताह बाद ही अकाउंट खाली हो गया.
काजल देवी (इनके अकाउंट से 3,000 रुपये की निकासी हुई)
कंबल की वजह से कैसे कंगाल हो गये ग्रामीण
ये कैसे हुआ? इसकी पहली जानकारी हमें गांव के स्कूल में शिक्षिका रेजेना सोरेन से मिली.
रेजेना बताती हैं कि दिसंबर का महीना था. मैं स्कूल में बच्चों को पढ़ा रही थी, तभी पता चला कि गांव में कंबल बांटा जा रहा है.
उत्सुकतावश मैं बाहर आई तो देखा 22-25 वर्ष के 3 लड़के ग्रामीणों से बातचीत कर रहे हैं.
पूछने पर युवकों ने बताया कि उनका एनजीओ है. वे गरीबों में कंबल बांट रहे हैं.
टीचर रेजेना सोरेन बताती हैं कि युवकों ने कहा कि हम स्कूल प्रांगण में ही कंबल वितरण करते हैं. मैं मान गयी.
जानकर हैरानी होगी कि टीचर रेजेना ने भी कंबल की खातिर अपने 9,300 रुपये गंवा दिए हैं. ये उनकी सैलरी का पैसा था. रेजेना ने अपना बायोमैट्रिक लॉक कर दिया है.
रेजेना सोरेन, टीचर (इनके खाते से 9,300 रुपये की निकासी हुई)
गांव में सहिया का काम करने वालीं ऐमेलता हेम्ब्रम ने पूरे 20,000 रुपये की भारी-भरकम रकम गंवाई है.
उनके एसबीआई खाते से पैसे निकाले गये हैं.
ऐमेलता बताती हैं कि उनके खाते से अब भी अवैध ढंग से पैसों की निकासी हो रही है लेकिन बैंक उनकी समस्या सुनने को तैयार नहीं.
ऐमेलता कहती हैं कि मैं मेरे बच्चों की स्कूल फीस बीते कुछ महीने से नहीं भर पाई हूं. दवाईयां नहीं खरीद सकती.
ऐमेलता हेम्ब्रम, सहिया (इनके खाते से 20,000 रुपये निकाल लिए)
धनीराम मुर्मू ने गंवाई है कि पूरे 75,000 रुपये की रकम
कंबल की खातिर सबसे बड़ी रकम गंवाई है धनी मुर्मू ने. उनके खाते से दिसंबर 2023 से लेकर अगस्त 2024 के बीच पूरे 75,000 रुपये की निकासी कर ली गयी है.
धनी मुर्मू बीमार थीं तो पति शिवराम हांसदा ने हमें पूरा वाकया बताया. वे कहते हैं कि मैं स्कूल के पास ही अपने घर के बरामदे में बैठा हुआ था. मेरी पत्नी कंबल लेने गयीं.
मेरे पूछने पर कि आप क्यों नहीं गये?
शिवराम बताते हैं कि मैंने उन लड़कों से पूछा था कि हम पुरुषों को क्यों कंबल नहीं मिल रहा है तो बताया कि ये स्किम केवल महिलाओं के लिए है.
मैंने पूछा कि कंबल कैसे दे रहे थे. उन्होंने बताया कि ठेपा (बायोमैट्रिक पंच) लगवाकर. शिवराम कहते हैं कि ये कंबल हमें बहुत महंगा पड़ा.
शिवराम हेम्ब्रम (इनके खाते से सर्वाधिक 75.000 रुपये की निकासी हुई)
ग्रामीणों की शिकायत पर बैंकों का ढुलमूल रवैया
मेरे पूछने पर कि आप लोगों ने बैंक में शिकायत क्यों नहीं की.
ग्रामीण बताते हैं कि बैंक हमारी शिकायत नहीं सुनता.
आंगनबाड़ी सेविका प्रमिला टुडू के पति डॉक्टर हांसदा ने बताया कि बैंककर्मी हमारे साथ बदतमीजी करते हैं.
महिलायें समस्या बताने गयी तो उनका पासबुक उठाकर फेंक दिया. यह कहकर मजाक उड़ाया कि आधार कार्ड का नंबर और बायोमैट्रिक क्या हमसे पूछकर दिया था?
डॉक्टर हांसदा यह आरोप लगाते हैं कि बैंककर्मियों ने साफ कह दिया कि आपके खातों में पैसे नहीं हैं. इससे आगे हम कुछ नहीं कर सकते.
दिक्कत ये है कि जानकारी के अभाव में इन लोगों ने थाने में शिकायत भी दर्ज नहीं कराई है और यही वजह है कि 9 महीने बाद घटना का पता चला.
वो भी इसलिए क्योंकि घटना की आपस में चर्चा होती थी.
जादूटोला (धोगड़ा) के ग्रामीण
एनजीओ से कंबल वितरण के नाम पर साइबर ठगी
गांव के ही संदीप नाम के युवक ने हमें बताया कि दिसंबर महीने में लाल रंग की कार में 22-25 साल के 3 लड़के आये थे.
उन्होंने खुद को किसी एनजीओ का बताया और कहा कि कंबल बांटने आये हैं.
स्कूल प्रांगण में उन लोगों ने महिलाओं से बायोमैट्रिक पंच कराया. रजिस्टर में भी नाम के साथ आधार कार्ड का नंबर दर्ज करवाकर अंगूठा लगवाया. इसके बाद उन्हें कंबल दिया.
कंबल वितरण के बाद 2 सप्ताह के भीतर ही गांव वालों के बैंक अकाउंट से पैसों की निकासी होने लगी.
कई लोग तो पूरे जिंदगीभर की कमाई गंवा चुके हैं.
दिलचस्प बात तो यह है कि ठगी का ऐसा मामला केवल जादूगोड़ा (धोगड़ा) का नहीं है बल्कि साहिबगंज के बोरियो, बरहेट, बरहड़वा, पतना और तालझारी प्रखंड के दर्जनों गांव में ग्रामीणों को शिकार बनाया गया है.
ठगों ने कंबल, मच्छरदानी, गैस चूल्हा और सोलर लाइट वितरण के नाम पर ग्रामीणों का बायोमैट्रिक पंच लिया और अंगूठे का निशान स्कैन कर उनके बैंक अकाउंट खाली कर दिया.
जानकारी के अभाव की वजह से इन्होंने शिकायत भी दर्ज नहीं कराई और मामला उजागर होने में 9 महीने का वक्त लग गया.
अब ग्रामीण चाहते हैं कि दोषियों पर कार्रवाई हो और उन्हें, उनका पैसा लौटाया जाये.