सरयू राय ने भाजपा में वापसी के अटकलों पर लगाया विराम,जानें क्या है पूरा मामला

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राजनीतिक नजरिए से अगला साल यानी 2024 बहुत अहम होने वाला है. अगले साल झारखंड में विधानसभा के साथ-साथ देश में लोकसभा के चुनाव होने हैं. इन चुनावों को लेकर सभी पार्टियों ने अपने स्तर पर तैयारियां शुरु कर दी है. लेकिन चुनाव जितना नजदीक आ रहा है झारखंड की सियासत में उतने बदलाव देखे जा रहे हैं. बीते 4 जुलाई को झारखंड भाजपा ने बाबूलाल मरांडी को प्रदेश अध्यक्ष की कमान सौंपी. बाबूलाल मरांडी के नए प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद ये कयास लगाए जा रहे थे कि सरयू राय की भी झारखंड भाजपा में घर वापसी होगी और सरयू राय फिर से भाजपा का दामन थामेंगे. बता दें सरयू राय जमशेदपुर पूर्व सीट से निर्दलीय विधायक हैं.

जब तक ये कयास यथार्थ में बदल पाता उससे पहले ही सरयू राय ने एक बड़ा ऐलान कर दिया और घर वापसी के अटकलों पर विराम लगा दिया. दरअसल 23 जुलाई को सरयू राय की राजनीतिक पार्टी भाजमो यानी भारतीय जनतंत्र मोर्चा की पहली आम सभा हुई. जिसमें पूरे राज्य से लगभग 500 पार्टी पदाधिकारियों ने भाग लिया. इस आम सभा की अध्यक्षता भारतीय जनतंत्र मोर्चा के संरक्षक सरयू राय ने की.

इस अवसर पर सरयू राय ने राज्य से आये हुए भाजमो के कार्यकर्ताओं को संबोधित किया और कहा कि -आगामी लोकसभा चुनाव में जरूरत पड़ने पर भाजमो 30 से 35 सीटों पर चुनाव लड़ भी सकती है. सरयू राय ने लोकसभा चुनाव में अपनी पार्टी की भागीदारी की बात कह कर राज्य की राजनीति में हलचल उत्पन्न कर दी है. सरयू राय के बयान के बाद झारखंड के राजनीति में नए बदलाव देखे जा सकते हैं.

गौरतलब है कि 2019 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने सरयू राय को टिकट नहीं दिया था जिससे नाराज होकर राय ने पार्टी छोड़ दी थी. इसके बाद उन्होंने जमशेदपुर पूर्वी से बतौर निर्दलीय प्रत्याशी चुनाव लड़ा और तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुवर दास को हराने में कामयाब हुए. वहीं जीत हासिल करने के कुछ महीने के बाद समर्थकों संग बैठक में उन्होंने नए दल के गठन का निर्णय किया. और 2020 में एक नई पार्टी भाजमो का गठन किया. और उसके एक साल बाद यानी 2021 में ही निर्वाचन आयोग ने उनकी पार्टी भाजमो को राजनीतिक दल के तौर पर पंजीकृत कर लिया था.

लेकिन इसके बाद भी कई बार सरयू राय ने भाजपा को अपना समर्थन दिया है. और उन्हें हमेशा भाजपा के नेताओं से भी मुलाकात करते देखा गया है. राज्य के पहले सीएम और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी के साथ उनके अच्छे रिश्ते हैं. उनके बीच अक्सर बातचीत होती है. यहां तक कि सरयू राय संघ की शाखाओं में भी अक्सर जाते हैं. कुछ महीने पहले संघ प्रमुख मोहन भागवत से भी उन्होंने मुलाकात की थी. सरयू राय के इन व्यवहारों से ही यह चर्चा थी कि वे भाजपा में घर वापसी कर सकते हैं.

लेकिन सरयू राय ने अपनी पार्टी की सभा आयोजन कर अब सबको हैरान कर दिया है. सरयू राय ने झारखंड में भाजमो की भूमिका के बारे में चर्चा करते हुए कहा कि- भाजमो की लोकसभा चुनाव में वही भूमिका रहेगी जो देश के विकास को आगे ले जाने में, देश की आंतरिक और बाहरी सुरक्षा, संप्रभुता की रक्षा करने वाले की होगी.

पार्टी को लेकर सरयू राय काफी गंभीर नजर आए. राय ने कार्यकर्ताओं से कहा कि वे क्षेत्र में जाएं और जनता की नब्ज टटोलें. उन्होंने कार्यकर्ताओं को मूलमंत्र देते हुए कहा कि आप सप्ताह में केवल एक घंटा पार्टी और संगठन को दिजिए. सम्पर्क, समस्या एवं समाधान को मूलमंत्र बना लिजिए फिर देखिये लोग स्वतः आपसे जुड़ने लगेंगे.

फिलहाल सरयू राय के इस पार्टी बैठक को लेकर राज्य में किसी ने नेता मंत्री ने अपना कोई पक्ष नहीं रखा है. लेकिन फिर भी राजनीति में कुछ हलचल जरुर मचने वाली है. अब देखना ये होगा कि इस नई पार्टी के साथ सरयू राय आगामी लोकसभा में कितनी बड़ी पारी खेल पाते हैं.

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