झामुमो के प्रमुख शिबू सोरेन की परंपरागत लोकसभा सीट पर इस बार गुरुजी चुनाव नहीं लड़ रहे हैं. पाला बदलकर अब उनकी बड़ी बहु सीता सोरेन भाजपा के टिकट पर यहां से चुनाव लड़ रही हैं. झामुमो ने इस सीट को परिवारिक प्रतिष्ठा का विषय नहीं बनने दिया. आशंका थी कि जेल से ही पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन दुमका से चुनाव लड़ेंगे. इन अटकलों पर विराम लगाते हुए पार्टी के वरिष्ठ नेता नलिन सोरेन को मैदान में उतारा गया है.
अभी दोनों तरफ से मामला शांत है
अभी दोनों तरफ से मामला शांत है. सीता सोरेन भी झामुमो के खिलाफ नहीं बोल रही हैं. न झामुमो के तरफ से सीता सोरेन पर हमला किया जा रहा है.
हालांकि इतना तय है कि इस बार सीता सोरेन और झामुमो के शिकारीपाड़ा से लगातार सात बार विधायक रह चुके नलिन सोरेन के बीच कड़ा मुकाबला होना तय है.
अब चाहे इसे महज़ संयोग कहा जाए या फिर राजनीति का तकाजा, भाजपा में शामिल होने के बाद गुरुवार को, जैसे ही सीता सोरेन ने भाजपा के कार्यालय में कदम रखा, वैसे ही रांची में, झामुमो की ओर से, नलिन सोरेन को गिरिडीह से प्रत्याशी घोषित कर दिया गया.
वह हमारे चाचा हैं और उनसे आशीर्वाद लेकर ही हम दुमका में कमल फूल खिलाएंगे
दैनिक जागरण के मुताबिक, जब सीता सोरेन से इस पर पहली प्रतिक्रिया ली गई तो उन्होंने कहा कि वह हमारे चाचा हैं और उनसे आशीर्वाद लेकर ही हम दुमका में कमल फूल खिलाएंगे. सीता सोरेन ने कहा कि नलिन सोरेन मेरे अभिभावक हैं. उनसे जीत का आशीर्वाद लूंगी. बाबा (शिबू सोरेन) से आशीर्वाद लेती रहती हूं. वहीं भाजपा कार्यालय में कार्यकर्ताओं ने भी सीता सोरेन का गर्मजोशी से स्वागत किया, तो सीता ने कहा कि दुमका में मेरी जीत होगी और यह दुमका संसदीय क्षेत्र की जनता की मेहनत की जीत होगी.
अगर वह ठीक व स्वस्थ रहते तो मैं झामुमो में ही रहती
जब पूछा गया कि दुमका सीट से उनके ससुर, शिबू सोरेन की प्रतिष्ठा जुड़ी है और झामुमो के खिलाफ दंगल में उतर रहीं हैं, तो शिबू सोरेन के खिलाफ क्या कहेंगी के जवाब में, सीता ने कहा कि बाबा हमेशा मेरे अभिभावक हैं. हमेशा उनसे आशीर्वाद मिलता है. उनके खिलाफ चुनाव में क्या कहेंगे, वह तो हमेशा संघर्ष किए हैं. अलग झारखंड राज्य बनाए हैं. अगर वह ठीक व स्वस्थ रहते तो मैं झामुमो में ही रहती.